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रामगढ़ भगवानपुर में 200 बेड के अस्पताल की मांग को लेकर संघर्ष समिति की सक्रियता

रामगढ़ भगवानपुर में 200 बेड के अस्पताल की मांग को लेकर संघर्ष समिति ने 144 दिनों से धरना दिया है। उन्होंने नगर परिषद की चेयरपर्सन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया है। समिति 11 नवंबर को मुख्यमंत्री से पुनः मुलाकात करेगी। इस बीच, केंद्रीय मंत्री के अलोकतांत्रिक बयान पर भी समिति ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जानें इस संघर्ष की पूरी कहानी और समिति की आगामी योजनाएं।
 

मुख्यमंत्री से मुलाकात में राजनीतिक बाधाओं का आरोप



  • रामगढ़ भगवानपुर अस्पताल बनाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से मुलाकात में राजनीतिक बाधाओं का आरोप लगाया है।


रेवाड़ी। रामगढ़ भगवानपुर में 200 बेड के अस्पताल की मांग को लेकर पिछले 144 दिनों से धरना दे रही संघर्ष समिति ने नगर परिषद की चेयरपर्सन पूनम यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया है। समिति ने कहा कि वे 11 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से फिर से मुलाकात करेंगे।


ज्ञापन सौंपने का कार्य राजनीतिक दबाव का परिणाम

समिति के पदाधिकारियों ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नगर परिषद की चेयरपर्सन का ज्ञापन सौंपना उनके आकाओं के इशारे पर किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि 144 दिन से चल रहे धरने के बावजूद, नगर परिषद ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।


समिति के सदस्य का. राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि यह ज्ञापन मुख्यमंत्री से मुलाकात में बाधा डालने के लिए दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चेयरपर्सन शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विभाजन की कोशिश कर रही हैं।


केंद्रीय मंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया

राजेंद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के उस बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग्रामीण अब अस्पताल के निर्माण के लिए उनसे उम्मीद न करें। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को इस तरह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए।


उन्होंने कहा कि समिति आंदोलन को और तेज करेगी और प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव से भी मुलाकात करेगी। इसके साथ ही महिलाओं की महापंचायत भी बुलाई जाएगी।


मुख्यमंत्री से पहली मुलाकात में सकारात्मक संकेत

समिति ने बताया कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ उनकी पहली मुलाकात में अस्पताल निर्माण को लेकर सकारात्मक संकेत मिले थे। उन्होंने मांग की कि गांव द्वारा दी गई जमीन को सरकार अपने नाम कराए। यदि 200 बेड का अस्पताल नहीं बनता है, तो कम से कम गांव में एक ट्रामा सेंटर का निर्माण किया जाए।