राहुल गांधी और मारिया कोरिना मचाडो: क्या नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हैं समान?
राहुल गांधी की तुलना मचाडो से
नोबेल शांति पुरस्कार 2025: कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह राजपूत ने शुक्रवार को राहुल गांधी और वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो के बीच समानता स्थापित की। उन्होंने कहा कि जैसे मचाडो अपने देश में संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं, वैसे ही राहुल गांधी भी भारत में संविधान की सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं।
राजपूत ने यह जानकारी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार मचाडो को उनके संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की स्थापना के लिए दिया गया है। राहुल गांधी भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं और उन्हें भी इस सम्मान का हकदार माना जाना चाहिए।
नोबेल समिति का निर्णय
नोबेल समिति ने मचाडो को दिया पुरस्कार
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने शुक्रवार को यह घोषणा की कि 58 वर्षीय मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। समिति ने बताया कि मचाडो को वेनेजुएला में शांति को बढ़ावा देने और वहां के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने के लिए सम्मानित किया गया है। वर्तमान में वेनेजुएला गंभीर मानवीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, और मचाडो विपक्ष को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
मानवाधिकार अधिवक्ता जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, "वेनेजुएला का सत्तावादी शासन राजनीतिक कार्य को कठिन बना देता है। मचाडो ने 20 साल से अधिक समय पहले स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए आवाज उठाई। वह 'सुमाते' नामक लोकतांत्रिक संगठन की संस्थापक हैं, जो लोकतांत्रिक विकास के लिए समर्पित है।"
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा की प्रतिक्रिया
भारत में, राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह भारत के संविधान को कमजोर करने और लोकतंत्र को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। गांधी का कहना है कि वे संविधान और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भाजपा ने गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष भारत विरोधी ताकतों के एजेंट बन गए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने देश के खिलाफ कई बार बयान दिए हैं और यह उनकी आदत बन गई है कि वे हर संभव मौके पर भारत की आलोचना करें।