रोहिणी आचार्य का राजनीतिक सफर खत्म: परिवार से दूरी बनाने का लिया फैसला
रोहिणी आचार्य का अचानक निर्णय
बिहार की राजनीति में हलचल तब मची जब लालू प्रसाद यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर यह घोषणा की कि वह राजनीति से अलविदा ले रही हैं और अपने परिवार से भी अलग हो रही हैं।
रोहिणी आचार्य का पारिवारिक पृष्ठभूमि
रोहिणी, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की नौ संतानों में से एक हैं और तेजस्वी व तेजप्रताप यादव की बड़ी बहन हैं। उनका यह निर्णय ऐसे समय आया है जब आरजेडी को 2025 विधानसभा चुनावों से पहले कमजोर प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ महीनों में पारिवारिक तनाव की स्थिति भी उभरकर सामने आई है, जिसमें तेजप्रताप का पार्टी से बाहर होना और तेजस्वी के करीबी संजय यादव की बढ़ती राजनीतिक भूमिका शामिल हैं।
रोहिणी आचार्य की पहचान
रोहिणी ने दिसंबर 2022 में अपने पिता को किडनी दान करके सुर्खियां बटोरीं, जिससे वह 'किडनी देने वाली बेटी' के रूप में जानी जाने लगीं। 2024 के आम चुनाव में उन्होंने सारण सीट से आरजेडी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, जहां उनके पिता ने चार बार जीत हासिल की थी। हालांकि, वह भाजपा के राजीव प्रताप रूडी से हार गईं, लेकिन उनके भाषणों ने उन्हें आरजेडी समर्थकों के बीच एक मजबूत पहचान दिलाई।
आचार्य उपनाम का रहस्य
रोहिणी का नामकरण रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने के कारण हुआ था। 'आचार्य' उपनाम की कहानी भी दिलचस्प है। पटना की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कमला आचार्य ने उनके जन्म का शुल्क लेने से मना कर दिया था, जिसके बाद लालू प्रसाद ने अनुरोध किया कि उनकी बेटी को डॉ. आचार्य का उपनाम दिया जाए।
परिवार से दूरी बनाने का निर्णय
रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया संदेश में स्पष्ट किया कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से संबंध तोड़ रही हैं। उन्होंने संजय यादव और रमीज़ पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। उनके इस निर्णय ने आरजेडी के भीतर की खींचतान को और उजागर किया है।
रोहिणी ने 2002 में समरेश सिंह से विवाह किया, जो पटना के इच्छानबीघा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। शादी के बाद, यह दंपति अमेरिका और फिर सिंगापुर चले गए, जहां वे अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं।