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लास्जलो क्रास्नाहोरकाई को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्नाहोरकाई को दिया गया है। स्वीडिश एकेडमी ने उनकी रचनाओं को प्रभावशाली और दूरदर्शी बताया है। लास्जलो को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना, एक सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। उनकी प्रसिद्ध कृति ‘सतांटैंगो’ पर एक सात घंटे लंबी फिल्म भी बनाई गई है। जानें उनके जीवन और लेखन के बारे में अधिक जानकारी।
 

साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा

स्टॉकहोम। मेडिसीन, फिजिक्स और केमिस्ट्री के बाद अब साहित्य के नोबेल पुरस्कार का ऐलान किया गया है। इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्नाहोरकाई को प्रदान किया गया है। स्वीडिश एकेडमी ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। एकेडमी ने कहा कि लास्जलो की कृतियाँ अत्यंत प्रभावशाली और दूरदर्शी हैं, जो दुनिया में आतंक और भय के बीच कला की शक्ति को उजागर करती हैं।


लास्जलो को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना, जो लगभग 10.3 करोड़ रुपये के बराबर है, एक सोने का मेडल और एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यह पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में प्रदान किया जाएगा। लास्जलो को पहले भी 2015 में मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज और 2019 में नेशनल बुक अवॉर्ड फॉर ट्रांसलेटेड लिटरेचर मिल चुका है। उनकी प्रसिद्ध कृति ‘सतांटैंगो’ पर एक सात घंटे लंबी फिल्म भी बनाई जा चुकी है। लास्जलो यहूदी हैं, लेकिन उन्हें यह जानकारी 11 साल की उम्र में मिली थी।


लास्जलो हंगरी के सबसे प्रमुख समकालीन लेखकों में से एक माने जाते हैं। उनकी रचनाओं में मानवता, अराजकता और आधुनिक समाज के संकटों का उल्लेख होता है। लास्जलो क्रास्नाहोरकाई गहन विचारों वाली उदास कहानियाँ लिखते हैं। 1985 में प्रकाशित ‘सतांटैंगो’ उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है। 1994 में इसी नाम से एक सात घंटे लंबी फिल्म भी बनाई गई थी, जिसे अब तक की सर्वश्रेष्ठ आर्टहाउस फिल्मों में से एक माना जाता है। इस फिल्म की कहानी एक छोटे से गांव और वहां के निवासियों की कठिनाइयों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें अराजकता, धोखा और मानव स्वभाव की कमजोरियों को दर्शाया गया है।