सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो मंदिर की भगवान विष्णु की मूर्ति की मरम्मत की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिरहीन मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की याचिका को अस्वीकार कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह मामला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ द्वारा की गई। याचिकाकर्ता राकेश दलाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप भगवान से प्रार्थना करें। यदि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो उनसे मदद मांगें। यह एक पुरातात्विक स्थल है, इसके लिए ASI की अनुमति आवश्यक है। हमें इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”
याचिका में यह भी कहा गया था कि मुगलों के आक्रमण के दौरान इस मूर्ति को नुकसान पहुंचा था और आजादी के 77 वर्षों बाद भी इसे ठीक नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि इस स्थिति में मूर्ति की पूजा करना नियमों के खिलाफ है।
मूर्ति के इतिहास पर प्रकाश
मुगल आक्रमण के बाद मूर्ति का क्षति का विवरण
राकेश दलाल की याचिका में मंदिर के गौरवमयी इतिहास का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि भगवान विष्णु की यह मूर्ति चंद्रवंशी राजाओं द्वारा बनवाई गई थी। मुगलों के आक्रमण ने इन मंदिरों को नुकसान पहुंचाया और औपनिवेशिक काल से लेकर स्वतंत्रता के बाद तक इस मूर्ति की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर कई बार प्रदर्शन किए गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। याचिका में यह भी कहा गया कि मूर्ति की यह स्थिति भक्तों के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाती है।