सोनीपत में किसानों के लिए फसल अवशेष योजना: 70% सब्सिडी और 9.57 करोड़ रुपये की सहायता
सोनीपत की फसल अवशेष योजना से किसानों की खुशी
सोनीपत की फसल अवशेष योजना: किसानों की मुस्कान का कारण हरियाणा के सोनीपत जिले में फसल अवशेष योजना ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 11,514 किसानों को 9.57 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की है।
इस योजना के अंतर्गत सुपर सीडर, बेलर और स्ट्रा रेक जैसे कृषि उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान की गई है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ावा देने में सहायक है। आइए, इस योजना के लाभ और विशेषताओं पर नजर डालते हैं।
किसानों के खातों में करोड़ों की राशि
किसानों के लिए अनुदान राशि सोनीपत जिले में 2024-25 के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत 559 किसानों को 6.23 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गई है। यह राशि सुपर सीडर, बेलर और स्ट्रा रेक जैसे उपकरणों के लिए है। इसके अतिरिक्त, 7 अन्य किसानों को 5.14 लाख रुपये का अनुदान मिला है।
कुल 11,514 किसानों ने 95,737 एकड़ भूमि के लिए 9.57 करोड़ रुपये की राशि 20 जून को सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से प्राप्त की। यह राशि किसानों को पराली जलाने से रोकने और उसे मिट्टी में मिलाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
पर्यावरण और मिट्टी की सेहत के लिए योजना
पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य फसल अवशेष प्रबंधन योजना का उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण को कम करना और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना है। इसके तहत किसानों को धान के अवशेषों को रोटावेटर या सुपर सीडर से मिट्टी में मिलाने के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। बेलर से अवशेषों के गट्ठर बनाए जाते हैं।
यह प्रक्रिया वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करती है। सोनीपत के उप कृषि निदेशक डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि तकनीकी कारणों से बचे किसानों को जल्द लाभ मिलेगा।
किसानों के लिए 70% सब्सिडी
कृषि उपकरणों पर सब्सिडी इस योजना के तहत किसानों को कृषि उपकरणों पर 70% तक सब्सिडी मिल रही है। यह सुविधा पराली जलाने की समस्या को रोकने में सहायक है। सुपर सीडर जैसे उपकरण फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने में प्रभावी हैं।
इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और अगली फसल की पैदावार बढ़ती है। यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देती है। किसानों से अनुरोध है कि वे इस योजना का लाभ उठाएं।