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स्मृति ईरानी का धुनुची नृत्य: दुर्गा पूजा में सांस्कृतिक उत्सव का जश्न

दिल्ली के पांडारा रोड पर दुर्गा पूजा के अंतिम दिन, बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने पारंपरिक धुनुची नृत्य में भाग लिया। उनका उत्साह और ऊर्जा इस नृत्य में स्पष्ट दिखाई दिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। विजयदशमी पर शुभकामनाएं देते हुए, उन्होंने धर्म और सत्य की जीत का संदेश भी साझा किया। इस नृत्य ने न केवल बंगाली संस्कृति को दर्शाया, बल्कि उत्सव के माहौल को भी और जीवंत बना दिया।
 

स्मृति ईरानी का पारंपरिक नृत्य

स्मृति ईरानी का नृत्य वीडियो: दिल्ली के पांडारा रोड पर दुर्गा पूजा के अंतिम दिन, बीजेपी नेता और अभिनेत्री स्मृति ईरानी ने पारंपरिक धुनुची नृत्य में भाग लिया। उन्होंने बंगाली साड़ी पहनकर अन्य महिलाओं के साथ इस नृत्य को बड़े उत्साह के साथ प्रस्तुत किया। इस खास क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें उनकी ऊर्जा और जोश स्पष्ट दिखाई दे रहा है।


धुनुची नृत्य दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नृत्य मां दुर्गा की आरती के समय किया जाता है, जिसमें भक्त धुनुची (मिट्टी का धूपदानी) को हाथ में लेकर ढाक की थाप पर नृत्य करते हैं। कुछ भक्त एक साथ दो या तीन धुनुची लेकर भी नृत्य करते हैं, जो उनके समर्पण और कौशल को दर्शाता है। स्मृति का यह नृत्य पंडाल में उपस्थित लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।




इससे पहले, विजयदशमी के अवसर पर स्मृति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शुभकामनाएं साझा कीं। उन्होंने लिखा, 'जहां धर्म है, वहां विजय है! विजयदशमी के इस पावन पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। यह त्योहार सत्य और धर्म की जीत का प्रतीक है।' उन्होंने भगवान श्री राम के आदर्शों, धैर्य, त्याग और वीरता को जीवन में अपनाने का संदेश भी दिया। स्मृति ईरानी का यह पारंपरिक रूप और उत्सव में उनकी भागीदारी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। उनकी यह सक्रियता न केवल उनकी सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाती है, बल्कि एक राजनेता के रूप में उनकी जनता से नजदीकी को भी उजागर करती है।


दुर्गा पूजा के इस उत्सव में उनका नृत्य और उत्साह ने पंडाल में उपस्थित भक्तों का मन मोह लिया। दुर्गा पूजा के दौरान दिल्ली के विभिन्न पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और स्मृति का यह प्रदर्शन उनमें से एक यादगार लम्हा बन गया। उनके इस नृत्य ने न केवल बंगाली संस्कृति की झलक पेश की, बल्कि त्योहार के उत्साह को भी दोगुना कर दिया।