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हरियाणा के रोहनात गांव में तिरंगा फहराने की अनोखी कहानी

हरियाणा के भिवानी जिले का रोहनात गांव आजादी के 71 साल बाद पहली बार तिरंगा फहराने का गवाह बना। यह गांव 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ अपने संघर्ष के लिए जाना जाता है। गांववालों ने 71 वर्षों तक तिरंगा नहीं फहराया, जब तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं और भूमि नहीं मिली। जानें इस गांव की अनोखी कहानी और उनके संघर्ष के बारे में।
 

रोहनात गांव का स्वतंत्रता संघर्ष

हरियाणा के भिवानी जिले का रोहनात गांव: 71 साल बाद तिरंगा फहराया गया। यह गांव एक ऐसा स्थान है, जहां आजादी के बाद पहली बार तिरंगा लहराया गया। यह केवल एक झंडा नहीं, बल्कि उस संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है, जिसे इस गांव ने 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ झेला।


गांव के निवासियों ने अंग्रेजी शासन का डटकर सामना किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजों ने गांव को तोपों से तबाह कर दिया और बचे हुए लोगों को हांसी की 'लाल सड़क' पर रोड रोलर से कुचल दिया।


महिलाओं का बलिदान और भूमि का संघर्ष


अंग्रेजों के हमले के दौरान, कई महिलाओं ने अपनी इज्जत की रक्षा के लिए कुंए में कूदने का साहस किया। बिरड़ दास बैरागी को तोप पर बांधकर उड़ा दिया गया। गांव के लोगों ने जेली, गंडासी और लाठियों से अंग्रेजों का मुकाबला किया, लेकिन वे हथियारों के सामने टिक नहीं सके।


अंग्रेजों ने गांव की भूमि को नीलाम कर दिया और ग्रामीणों से माफी मांगने को कहा। लेकिन गांववालों ने झुकने से इनकार कर दिया। इसी कारण आजादी के बाद भी उन्हें भूमि नहीं मिली।


तिरंगे का विरोध और सरकार की पहल


गांववालों ने 71 वर्षों तक तिरंगा नहीं फहराया। उनका कहना था कि जब तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं और भूमि नहीं मिलती, वे तिरंगा नहीं फहराएंगे। 2018 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गांव में जाकर तिरंगा फहराया और विकास कार्यों का आश्वासन दिया।


सरकार ने गांव में वेबसाइट, लाइब्रेरी, व्यायामशाला और गौरव पट्ट का निर्माण करवाया। भूमि वापस दिलाने का भरोसा भी दिया गया। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि अब भी केवल स्कूलों में तिरंगा फहराया जाता है, क्योंकि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई हैं।