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हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज पर संकट: 7 अगस्त से हो सकता है बंद

हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज 7 अगस्त से बंद होने की संभावना है। अस्पतालों को पिछले कई महीनों से भुगतान नहीं मिला है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति बिगड़ रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार से समाधान की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो लाखों गरीब मरीजों को इलाज से वंचित होना पड़ सकता है। इस स्थिति ने स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
 

हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना का संकट

हरियाणा आयुष्मान भारत: क्या 7 अगस्त से योजना के तहत इलाज बंद होगा? हरियाणा में हलचल: इस स्थिति का मुख्य कारण ₹500 करोड़ से अधिक का बकाया भुगतान है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हरियाणा ने बताया है कि कई अस्पतालों को पिछले 4-5 महीनों से भुगतान नहीं मिला है। अब, डॉक्टरों, स्टाफ और मेडिकल सप्लायर्स को भुगतान करने में असमर्थ अस्पताल योजना से बाहर निकलने की तैयारी कर रहे हैं।


IMA के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक महाजन ने कहा, “हम योजना को बंद नहीं करना चाहते, लेकिन हमें मजबूर किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि हम खुद इस योजना को फंड कर रहे हैं।”


7 अगस्त से इलाज बंद करने की चेतावनी


IMA हरियाणा ने आयुष्मान भारत हरियाणा स्वास्थ्य संरक्षण प्राधिकरण के CEO को एक पत्र भेजकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि बार-बार भुगतान में देरी और कटौती के कारण योजना संकट में है। 7 अगस्त से 650-700 निजी अस्पताल योजना के तहत इलाज बंद कर सकते हैं।


IMA का कहना है कि सरकार केवल विरोध प्रदर्शन के बाद ही भुगतान करती है, और फिर अगली बार फिर से देरी होती है। यह चक्र लगातार जारी है, जिससे अस्पतालों की वित्तीय स्थिति और बिगड़ रही है।


सरकार से मिले आश्वासन, लेकिन समाधान नहीं


IMA ने मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार मुलाकात की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। हर बार आश्वासन तो मिला, लेकिन भुगतान नहीं। IMA का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वपूर्ण योजना को हरियाणा में सरकार की उदासीनता के कारण बार-बार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।


IMA ने स्पष्ट किया है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो प्रदेश के लाखों गरीब मरीजों को इलाज से वंचित होना पड़ेगा। यह न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।