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हरियाणा में श्रमिकों के लिए नए कानून का ऐलान: अधिकारों की सुरक्षा और पारदर्शिता

हरियाणा सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक नया कानून पेश किया है, जो काम की पारदर्शिता और छोटे व्यवसायों पर प्रशासनिक बोझ को कम करेगा। इस कानून के तहत श्रमिकों को नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र प्रदान करना अनिवार्य होगा, और ओवरटाइम नियमों में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। छोटे दुकानदारों को राहत देते हुए, 20 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी। जानें इस नए कानून के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

हरियाणा सरकार का नया कदम

हरियाणा सरकार ने दुकानों, होटलों, शोरूम और कार्यालयों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए कानून को और अधिक स्पष्ट और सुरक्षित बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। विधानसभा ने हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान संशोधन विधेयक 2025 को स्वीकृति दे दी है। यह बदलाव राज्य में लाखों कर्मचारियों और छोटे व्यवसायियों पर सीधा प्रभाव डालेगा।


कानून का उद्देश्य

इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों को सशक्त बनाना, कार्य की शर्तों को पारदर्शी बनाना और छोटे व्यवसायों पर प्रशासनिक बोझ को कम करना है।


कानून में बदलाव की आवश्यकता

यह कानून पहली बार 1958 में लागू किया गया था। उस समय न तो सेवा आधारित अर्थव्यवस्था का विकास हुआ था और न ही निजी क्षेत्र का इतना विस्तार। समय के साथ काम करने के तरीके बदले, लेकिन नियम पुराने बने रहे। सरकार और श्रम विशेषज्ञों का मानना है कि इसी कारण अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि हुई और श्रमिकों को कानूनी सुरक्षा नहीं मिल पाई।


नए संशोधन इसी खाई को भरने का प्रयास करते हैं।


नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र की अनिवार्यता

अब किसी भी दुकान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में काम करने वाले श्रमिकों को लिखित नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र प्रदान करना अनिवार्य होगा।


इसके लाभ स्पष्ट हैं: नौकरी का कानूनी प्रमाण मिलेगा, वेतन और कार्य समय स्पष्ट रहेगा, और बीमा तथा सरकारी योजनाओं का लाभ लेना आसान होगा।


श्रम मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम असंगठित क्षेत्र को औपचारिक ढांचे में लाने में मदद करेगा।


ओवरटाइम नियमों में बदलाव

नए कानून के तहत तिमाही ओवरटाइम की सीमा को 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे कर दिया गया है।


इसका मतलब है कि अतिरिक्त काम का पूरा भुगतान अनिवार्य होगा, हर ओवरटाइम घंटे का रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा, और ओवरटाइम कर्मचारी की सहमति से होगा।


सरकार का कहना है कि इससे छुपे हुए ओवरटाइम की जगह पारदर्शी कमाई का रास्ता खुलेगा।


काम के घंटे और साप्ताहिक सीमा

दैनिक कार्य समय अब अधिकतम 10 घंटे होगा, जबकि साप्ताहिक काम 48 घंटे से अधिक नहीं होगा।


लगातार काम करने की सीमा को 5 घंटे से बढ़ाकर 6 घंटे कर दिया गया है। श्रम विभाग के अनुसार, इससे व्यावसायिक जरूरतें पूरी होंगी और कर्मचारियों से मनमाने घंटे काम कराने पर रोक लगेगी।


छोटे उल्लंघनों पर जुर्माना

पहले मामूली नियमों के उल्लंघन पर जेल का प्रावधान था, जिसे अब बदल दिया गया है।


छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है, और 3,000 से 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।


बार-बार गलती करने पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।


छोटे दुकानदारों को राहत

20 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को अब पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी; उन्हें केवल ऑनलाइन सूचना देनी होगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि इससे छोटे कारोबारी बिना डर के रोजगार दे सकेंगे और स्थानीय स्तर पर नौकरियां बढ़ेंगी।


डिजिटल प्रक्रिया का लाभ

पंजीकरण, फीस भुगतान और प्रतिष्ठान बंद करने की सूचना अब पूरी तरह डिजिटल होगी।


श्रम मंत्री अनिल विज के अनुसार, डिजिटल प्रक्रिया से भ्रष्टाचार कम होगा और कर्मचारियों और नियोक्ताओं को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।


कानून का प्रभाव

यह कानून सीधे तौर पर दुकान और कार्यालय कर्मचारियों, होटल और सेवा क्षेत्र के श्रमिकों, और छोटे एवं मध्यम कारोबारियों को प्रभावित करेगा।


विशेषज्ञ इसे श्रम सुधारों की दिशा में एक व्यावहारिक कदम मानते हैं, जो रोजगार और अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है।