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हरियाणा में सफेदा की खेती पर प्रतिबंध: पर्यावरण के लिए खतरा

हरियाणा सरकार ने हाल ही में सफेदा की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि यह पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। सफेदा के पेड़ तेजी से बढ़ते हैं और पानी एवं पोषक तत्वों को अत्यधिक सोख लेते हैं, जिससे जलस्तर में गिरावट आ रही है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और सरकार द्वारा सुझाए गए बेहतर विकल्पों के बारे में।
 

हरियाणा में सफेदा की खेती पर प्रतिबंध



हरियाणा समाचार: आज का युग तेजी से बदल रहा है। ऐसे में यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है कि एक हरा पौधा भी पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। हाल ही में, हरियाणा सरकार ने सफेदा की खेती पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इस पेड़ पर रोक लगाने का मुख्य कारण यह है कि यह हमारे पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है।


तेजी से बढ़ने वाला पेड़


सफेद पौधा सबसे तेजी से बढ़ने वाले पेड़ों में से एक माना जाता है और इसे कम समय में अधिक लाभ देने वाला समझा जाता है। हालांकि, वास्तविकता कुछ और है। यह बताया गया है कि सफेदा जमीन से पानी और पोषक तत्वों को तेजी से सोख लेता है। एक सफेद पेड़ प्रतिदिन लगभग 12 लीटर पानी पीता है। यदि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तो इसकी जड़ें बोतल में जाकर पानी सोखने लगती हैं।


कितना खतरनाक साबित होगा


हरियाणा के 143 ब्लॉकों में से लगभग 88 ब्लॉक अब डार्क जोन में पहुंच चुके हैं। यहां का जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि बोरवेल भी सूखने लगे हैं। यदि ऐसे में सैकड़ों सफेद पेड़ लगाए जाते हैं, तो पानी की कमी कैसे पूरी होगी?


सफेद पेड़ न केवल पानी का नुकसान करता है, बल्कि यह हमारी जमीन को भी हानि पहुंचाता है। यह आवश्यक पोषक तत्वों को इतनी तेजी से सोखता है कि उपजाऊ जमीन कुछ वर्षों में बंजर बन जाती है।


सरकार ने लगाई रोक


हरियाणा के वन मंत्री राव नरवीर ने हाल ही में घोषणा की कि सरकार सफेदा के पेड़ पर सख्त रोक लगाने का आदेश देती है। उन्होंने कहा कि राज्य में सफेद बागान नहीं लगाए जाएंगे। मुख्य वन संरक्षक ने सभी क्षेत्रों को निर्देश जारी कर दिए हैं।


कौन से पेड़ रहेंगे बेहतर


उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार पेड़-पौधों को बढ़ावा देने और पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सफेदा के स्थान पर नीम, पीपल, अर्जुन और सहजन जैसे पेड़ लगाए जाएं, जो मिट्टी को पोषक बनाते हैं और हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं। किसानों को ऐसे पेड़ लगाने होंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हों और उन्हें भी लाभ पहुंचाएं।