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हरियाणा में स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए गए

हरियाणा सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए हैं। हाल ही में की गई जांच में हजारों बसें सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रही थीं। अब पुलिस ने सीधे प्रवर्तन मॉडल लागू किया है। जानें इस अभियान के पीछे के कारण, जांच के आंकड़े और भविष्य की योजनाएं। यह कदम न केवल प्रवर्तन बल्कि समुदाय आधारित सुरक्षा मॉडल की ओर भी संकेत करता है।
 

हरियाणा सरकार का नया कदम

हरियाणा सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में संचालित 25,000 से अधिक स्कूल बसों की जांच के दौरान यह पाया गया कि 5,200 वाहन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे थे। लंबे समय से सुरक्षा संबंधी शिकायतों के चलते, पुलिस ने अब सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और चेतावनी आधारित प्रणाली को छोड़कर सीधे प्रवर्तन मॉडल को लागू किया जा रहा है।


सख्त अभियान का कारण

हाल के महीनों में सोशल मीडिया और अभिभावकों के बीच स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी थी। दुर्घटनाओं और नियमों के उल्लंघन के मामलों ने सरकार को जांच शुरू करने के लिए मजबूर किया। एक वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी ने बताया कि यह कदम केवल कागजी औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह फील्ड में वास्तविक निरीक्षण पर आधारित है।


जांच के आंकड़े

तीन से दस नवंबर के बीच चलाए गए अभियान में 5,516 बसों की जांच की गई। इस दौरान 1,003 बसों पर चालान जारी किए गए और सिरसा तथा डबवाली में चार बसें तुरंत जब्त की गईं। जनवरी से अक्टूबर 2025 तक किए गए निरीक्षण में भी 4,205 बसें नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि यह समस्या केवल व्यवहारिक कमियों से नहीं, बल्कि एक प्रणालीगत विफलता बनती जा रही है।


निरंतर निगरानी प्रणाली

सूत्रों के अनुसार, यह अभियान अब एक निरंतर निगरानी प्रणाली में परिवर्तित किया जा रहा है। प्रत्येक जिले को निर्देश दिए गए हैं कि स्कूल बसों की जानकारी को समय पर अपडेट किया जाए, दस्तावेजों का नियमित सत्यापन किया जाए और गैर अनुपालन पर तुरंत कार्रवाई की जाए। अधिकारियों का मानना है कि यह पहली बार है जब स्कूल परिवहन व्यवस्था को इस तरह से जवाबदेह बनाया जा रहा है।


खराब स्थिति वाले जिले

जांच में गुरुग्राम, पंचकूला, सोनीपत, फरीदाबाद, सिरसा और पलवल जैसे शहर सबसे आगे रहे। केवल गुरुग्राम में 5,984 बसों की जांच में 1,851 वाहन नियमों के खिलाफ पाए गए। रेवाड़ी, डबवाली और चरखी दादरी में कम मामले सामने आए, लेकिन सिरसा और डबवाली में बसों की खराब स्थिति के कारण उन्हें मौके पर ही इम्पाउंड करना पड़ा।


DGP का सख्त संदेश

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए स्पष्ट किया कि असुरक्षित स्कूल बसें सड़क पर नहीं चलेंगी। उनकी पोस्ट को एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है कि अब नियम तोड़ने वालों को लापरवाही का लाभ नहीं मिलने वाला।


अनिवार्य सुविधाएं

राज्य सरकार ने दोहराया है कि हर स्कूल बस में फिटनेस सर्टिफिकेट, जीपीएस, फायर एक्सटिंग्विशर, फर्स्ट एड बॉक्स, कैमरा (जहां लागू हो), आपातकालीन निकास, प्रशिक्षित चालक और परिचालक, सीट बेल्ट और मानक पहचान चिन्ह होना अनिवार्य है। उल्लंघन पर चालान, जब्ती और कानूनी कार्रवाई तय है।


अभिभावकों की जिम्मेदारी

पुलिस ने माता-पिता से भी आग्रह किया है कि वे केवल स्कूल पर निर्भर न रहें, बल्कि बच्चों की बस की स्थिति की जानकारी रखें, सुरक्षा उपकरणों पर नजर रखें और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में तुरंत प्रशासन को सूचित करें। नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम केवल प्रवर्तन नहीं, बल्कि समुदाय आधारित सुरक्षा मॉडल की ओर संकेत करता है।


भविष्य की योजनाएं

अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में नियमित चेकिंग और डिजिटल रिकॉर्डिंग प्रणाली लागू की जाएगी। हर जिले में स्कूल परिवहन की जवाबदेही निर्धारित होगी और सुरक्षा मानकों का पालन न करने वालों पर जुर्माने और ऑपरेशन बंद करने तक की कार्रवाई संभव है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह अभियान सतत और पारदर्शी रहा, तो हरियाणा का मॉडल अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है।