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हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने मनीषी संत से आशीर्वाद लिया

हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरफुल सिंह कल्याण ने मनीषी संत मुनि श्री विनय कुमार जी आलोक से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने आचार्य भिक्षु की 300वीं जयंती के बारे में चर्चा की। कल्याण ने मनीषी संत की तप और त्याग की प्रशंसा की और संघर्ष के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस लेख में उनके विचारों और आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है।
 

हरियाणा विधानसभा स्पीकर का मनीषी संत से आशीर्वाद


  • हमारा "अहो भाग्य जो आपश्री चलकर आये"


(चंडीगढ़ समाचार) चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरफुल सिंह कल्याण ने मनीषी संत मुनि श्री विनय कुमार जी आलोक से आशीर्वाद लिया और कहा कि यह उनके लिए एक बड़ा सौभाग्य है। इस अवसर पर, श्री कल्याण ने मनीषी संत के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि 8 जुलाई को आचार्य भिक्षु की 300वीं जयंती है, और उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस पावन अवसर पर अवश्य शामिल होंगे।


मनीषी संत के बारे में श्री कल्याण ने कहा कि वे तप और त्याग का प्रतीक हैं। इतनी गर्मी में, इतनी उम्र में सहजता से चलकर आना कोई साधारण कार्य नहीं है। यह सब मनीषी संत के तप का परिणाम है।




आचार्य भिक्षु की अहिंसा का महत्व


श्री कल्याण ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने अपने विचारों के माध्यम से नए मूल्यों की स्थापना की। उनकी हिंसा और दान-दया की व्याख्या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की जा सकती है। आचार्य भिक्षु की अहिंसा सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित थी। उन्होंने कभी भी बड़े और छोटे के बीच हिंसा को स्वीकार नहीं किया।


संघर्ष का महत्व


मनीषी संत मुनि श्री विनय कुमार जी आलोक ने कहा कि संघर्षपूर्ण जीवन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जैसे सोना आग में तपकर कुंदन बनता है, वैसे ही मनुष्य भी संघर्ष के माध्यम से अपने गुणों का विकास करता है। ऐसे व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बनते हैं। संघर्ष के बाद मिलने वाली सफलता हमें खुशी देती है।


तुलना का महत्व


मनीषी संत ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है। अक्सर लोग अपनी तुलना दूसरों से करते हैं, लेकिन यह तुलना सकारात्मक होनी चाहिए। सेब और संतरा दोनों फल हैं, लेकिन उनकी तुलना करना बेमानी है। हर आत्मा की अपनी पहचान होती है, और हमें अपने कर्मों के आधार पर ही फल मिलता है।