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अंबुबाची मेला 2025: कामाख्या मंदिर में मासिक धर्म का उत्सव शुरू

असम के गुवाहाटी में आज से अंबुबाची मेला शुरू हो रहा है, जो देवी कामाख्या के मासिक धर्म का उत्सव है। यह मेला मातृ शक्ति के महत्व को उजागर करता है और इसे 'पूर्व का महाकुंभ' कहा जाता है। जानें इस मेले का महत्व, पौराणिक कथा और कार्यक्रम की जानकारी।
 

अंबुबाची मेला 2025 का आगाज

अंबुबाची मेला 2025: असम के पूर्वोत्तर क्षेत्र में आज से अंबुबाची मेला शुरू हो रहा है, जिसे विश्वभर में मासिक धर्म के उत्सव के रूप में जाना जाता है। यह मेला मातृ शक्ति के महत्व को उजागर करता है और गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर की महिमा और आस्था इतनी गहरी है कि देश-विदेश से श्रद्धालु इसकी पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। आइए जानते हैं कि अंबुबाची मेला क्या है और इससे जुड़ी मान्यताएं और पौराणिक कथाएं क्या हैं?


अंबुबाची मेला का महत्व

गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में हर साल आयोजित होने वाला अंबुबाची मेला देवी कामाख्या के मासिक धर्म का उत्सव है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह महिला शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया को सम्मान देने का एक सामाजिक संदेश भी है। इस वर्ष यह मेला 22 जून से शुरू होकर 26 जून तक चलेगा।


‘पूर्व का महाकुंभ’

अंबुबाची मेला एक अनोखा पर्व है, जो महिलाओं के मासिक धर्म को पवित्रता और शक्ति के प्रतीक के रूप में मानता है। भारत के कई हिस्सों में इस विषय पर वर्जनाएं होती हैं, लेकिन कामाख्या मंदिर में इसे देवी की रचनात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इसे ‘पूर्व का महाकुंभ’ कहा जाने लगा है। यहां मिलने वाला ‘रक्त बस्त्र’, जो देवी के रजस्वला अवस्था का वस्त्र है, भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।


कामाख्या मंदिर की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें माता सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती ने अपने पति के मना करने के बावजूद यज्ञ में भाग लिया और वहां भगवान शिव का अपमान होते देखा। इस दृश्य को सहन न कर पाने के कारण उन्होंने आत्मदाह कर लिया। जब शिव जी को यह समाचार मिला, तो उन्होंने सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में घूमना शुरू किया, जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया। भगवान विष्णु ने सती के शरीर को खंडित कर दिया और जहां-जहां अंग गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई।


अंबुबाची मेला 2025 का कार्यक्रम


  • अंबुबाची मेला 2025 की शुरुआत 22 जून को सुबह 8:43 बजे होगी, जब देवी कामाख्या के रजस्वला होने की मान्यता के तहत मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

  • 22 से 24 जून तक मंदिर बंद रहेगा, इस दौरान न कोई पूजा होगी और न ही भक्तों को दर्शन की अनुमति मिलेगी। यह समय देवी के विश्राम का माना जाता है।

  • 25 जून को मंदिर के द्वार खोले जाएंगे, जब देवी के रजस्वला होने की अवधि समाप्त होती है। इस दिन हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते हैं।

  • 26 जून को मेला अपने अंतिम दिन पर पहुंचेगा, जब विशेष पूजन के साथ सामान्य दर्शन का आयोजन होगा।