अट्टुकल भगवती मंदिर: जहां महिलाओं का विशेष दिन और पवित्रता का अनोखा उत्सव
अट्टुकल भगवती मंदिर की विशेषताएँ
नई दिल्ली: भारत में कई मंदिर अपनी आध्यात्मिकता और पवित्रता के लिए जाने जाते हैं। इनमें से कुछ मंदिरों में स्थानीय उत्सव इतने भव्य तरीके से मनाए जाते हैं कि वे मंदिर की पहचान का अभिन्न हिस्सा बन जाते हैं। वहीं, कुछ मंदिरों में इन सभी तत्वों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित अट्टुकल भगवती मंदिर एक ऐसा ही दिव्य स्थल है, जहां मां भगवती, देवी भद्रकाली के रूप में पूजी जाती हैं। भक्तों का मानना है कि यहां मां के दर्शन से समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह मंदिर खास है क्योंकि एक विशेष दिन पर पुरुषों का प्रवेश प्रतिबंधित होता है। 'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव के दौरान केवल महिलाएं ही मंदिर में आ सकती हैं। अन्य दिनों में पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रवेश की अनुमति होती है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भाग लेती हैं।
मां भद्रकाली को समृद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां मां के सामने की गई हर प्रार्थना सुन ली जाती है। मुराद पूरी होने पर भक्त विशेष अनुष्ठान भी करते हैं। पोंगाला उत्सव के दौरान भी महिलाएं मां के लिए विशेष अनुष्ठान करती हैं।
मंदिर की वास्तुकला तमिल संस्कृति से प्रभावित है, जिसमें पारंपरिक तमिल और केरल की वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। मंदिर के स्तंभों पर देवी काली, श्री पार्वती, भगवान शिव और भगवान विष्णु के दस अवतारों की सुंदर नक्काशी की गई है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक व्यक्ति नदी पार कर रहा था, तभी एक छोटी कन्या उसे नदी पार कराने के लिए कहती है। उस व्यक्ति को कन्या के चेहरे की चमक से प्रभावित होकर उसे अपने घर बुलाने का मन करता है। लेकिन जब वह कन्या गायब हो जाती है, तो वह उसे सपने में दर्शन देकर एक विशेष स्थान के बारे में बताती है। अगले दिन उस व्यक्ति को बताई गई जगह पर तीन निशान मिलते हैं। जब यह बात गांव में फैलती है, तो सभी मिलकर मां के मंदिर का निर्माण करते हैं। मंदिर में चार भुजा वाली मां भद्रकाली की प्रतिमा स्थापित की गई है।