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अनंत चतुर्दशी: 14 गांठों वाले अनंत सूत्र का महत्व और बांधने की विधि

अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधते हैं, जो न केवल भय और पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि बैकुंठ की प्राप्ति का भी प्रतीक है। जानें इस सूत्र की 14 गांठों का महत्व और इसे बांधने की विधि।
 

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी: 14 गांठों वाले अनंत सूत्र का महत्व और बांधने की विधि: अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधते हैं।


अनंत सूत्र की 14 गांठों का महत्व

कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों का निर्माण किया और अपने 14 रूपों में प्रकट हुए। अनंत सूत्र का यह धागा भक्तों को भय और पापों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ बैकुंठ की प्राप्ति का भी प्रतीक है।


14 गांठों का प्रतीक

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, अनंत सूत्र की 14 गांठें 14 लोकों (जैसे भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक आदि) का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह भगवान विष्णु के 14 रूपों (जैसे अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ आदि) को भी दर्शाता है।


अनंत सूत्र बांधने की विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन इस सूत्र को बांधने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। पूजा के बाद, पुरुष इसे अपने दाहिने हाथ पर और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधती हैं। सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें।


अनंत सूत्र को हल्दी या केसर से रंगकर 14 गांठें लगाएं और फिर इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें: “ऊं अनंताय नम: या अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते।” मंत्र जाप के बाद सूत्र को बाजू पर बांध लें। रात को सोते समय इसे उतारकर अगले दिन किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।