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अनंत चतुर्दशी 2025: गणेश विसर्जन और धार्मिक अनुष्ठान

अनंत चतुर्दशी 2025 का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा, जो गणेश चतुर्थी उत्सव का समापन है। इस दिन भक्त गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं। अनंत सूत्र बांधने और व्रत रखने की परंपराएं इस दिन का विशेष महत्व बढ़ाती हैं। जानें इस पर्व से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और अनुष्ठान।
 

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी 2025: यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े उत्साह और सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी उत्सव के 10 दिनों के समापन का प्रतीक है और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए भी समर्पित है। इस दिन, भक्त गणेश प्रतिमाओं को जल में विसर्जित करते हैं, साथ ही जीवन की समस्याओं से मुक्ति और समृद्धि की कामना करते हुए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखते हैं।


अनंत चतुर्दशी की तिथि

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला अनंत चतुर्दशी का पर्व इस वर्ष 6 सितंबर 2025 को होगा।


गणेश विसर्जन की परंपरा

गणेश विसर्जन:
गणेश जी को विदाई देते समय भक्त ‘गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वर्षी लवकर या’ का जाप करते हैं।


अनंत सूत्र का महत्व

अनंत सूत्र बांधना:
यह एक सूती या रेशमी धागा होता है, जिसमें 14 गांठें होती हैं, जो भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों का प्रतीक हैं। पूजा के बाद, इसे पुरुषों के दाहिने हाथ और महिलाओं के बाएं हाथ पर बांधा जाता है। इसे 14 दिनों तक पहनने की सलाह दी जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा और भाग्य में वृद्धि होती है।


अनंत व्रत का महत्व

अनंत व्रत (उपवास रखना):
इस दिन व्रत रखने से सभी कर्म ऋण और कष्ट दूर होने की मान्यता है। व्रत के दौरान, दिनभर अन्न का सेवन न करना बेहतर होता है, हालांकि एक बार फलाहार किया जा सकता है। यदि आप मानसिक तनाव या जिम्मेदारियों के दबाव में हैं, तो इस दिन व्रत रखने से राहत मिल सकती है। भगवान विष्णु के भक्तों को कठोर उपवास रखने की सलाह दी जाती है, जबकि अन्य लोगों को लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से बचने की सलाह दी जाती है।