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आरती करने के सही तरीके: जानें धार्मिक विधि और सामग्री

आरती हिंदू धर्म में पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सही तरीके से आरती करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस लेख में हम आरती करने के सही विधि, सामग्री और खड़े होकर आरती करने के महत्व के बारे में जानेंगे। क्या आप जानते हैं कि आरती करने का सही तरीका क्या है? जानें इस लेख में!
 

आरती का महत्व और विधि

हिंदू धर्म में पूजा का आयोजन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह माना जाता है कि नियमित पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। जब पूजा विधिपूर्वक की जाती है, तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में शांति का अनुभव होता है। पूजा का समापन भगवान की आरती से होता है, जो हर पूजा का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि, कई लोग आरती करने के सही तरीकों को नजरअंदाज कर देते हैं और कुछ महत्वपूर्ण बातों का पालन नहीं करते। क्या आप जानते हैं कि आरती करने का सही तरीका क्या है?


आरती करने का सही तरीका: क्या है सही विधि?

धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट किया गया है कि यदि पूजा सच्चे मन से की जाए, तो वह भगवान के दरबार में स्वीकार होती है। इसी प्रकार, आरती करने के भी कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। बहुत से लोग मानते हैं कि किसी भी स्थिति में आरती करना शुभ होता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार आरती करने के कुछ खास तरीके हैं।


आइए, जानते हैं कि क्या बैठकर आरती करना सही है या खड़े होकर आरती करना ज्यादा शुभ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बैठकर आरती करना कभी भी शुभ नहीं माना जाता। बल्कि, आरती करते समय खड़ा होना शुभ होता है। खड़े होकर थोड़ा झुककर आरती करने से और भी अधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं।


आरती के लिए सही सामग्री और विधि

इसके अलावा, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आरती करने के लिए हमेशा पीतल, तांबे या चांदी की थाली का उपयोग करना चाहिए। इन धातुओं की थाली में आरती करना ज्यादा प्रभावी और शुभ माना जाता है। आरती के दौरान थाल को भगवान के पांव की ओर घुमाना सबसे पहली बात है। इसके बाद, थाल को चार बार घुमाना चाहिए। फिर भगवान के नाभि क्षेत्र की ओर थाल को दो बार घुमाना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद, भगवान के चेहरे के सामने आरती करते समय, थाल को एक बार घुमाना चाहिए। अंत में, भगवान के पूरे शरीर पर थाली को सात बार घुमाना चाहिए।