आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: मां दुर्गा की सवारी और उसके संकेत
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व
Ashadha Gupt Navratri 2025: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा धरती पर आती हैं और 9 दिन बाद वापस चली जाती हैं। इस अवधि में जो भक्त सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं, उन्हें देवी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां दुर्गा की सवारी का महत्व
मां दुर्गा हर बार किसी विशेष सवारी पर सवार होकर धरती पर आती हैं। मां के आगमन और प्रस्थान की सवारी अलग-अलग होती है, जिसका प्रभाव देश और दुनिया पर पड़ता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष मां दुर्गा की प्रस्थान सवारी क्या होगी।
मां की सवारी हर साल बदलती है
आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है। 2025 में यह पर्व 26 जून से शुरू होकर 4 जुलाई तक चलेगा। शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा की सवारी दिन के अनुसार निर्धारित होती है।
इस बार 26 जून 2025 को गुरुवार है। जब नवरात्रि का आरंभ गुरुवार से होता है, तब मां की सवारी पालकी (डोली) होती है। इस प्रकार, 2025 में मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। पालकी पर मां का आना अशुभ माना जाता है, जो महामारी, आर्थिक मंदी और हिंसा का संकेत देता है।
2025 में मां दुर्गा की प्रस्थान सवारी
4 जुलाई 2025 को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का समापन होगा, जो शुक्रवार को है। यदि नवरात्रि का समापन शुक्रवार को होता है, तो मां हाथी पर सवार होकर वापस जाती हैं। हाथी पर सवार होकर माता का जाना बारिश और बाढ़ का संकेत है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का कैलेंडर
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का कैलेंडर:
- 26 जून- घटस्थापना और मां शैलपुत्री
- 27 जून- मां ब्रह्मचारिणी
- 28 जून- मां चन्द्रघण्टा
- 29 जून- मां कूष्माण्डा
- 30 जून- मां स्कन्दमाता
- 1 जुलाई- मां कात्यायनी
- 2 जुलाई- मां कालरात्रि
- 3 जुलाई- दुर्गा अष्टमी और मां महागौरी
- 4 जुलाई- मां सिद्धिदात्री, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि व्रत का पारण और कन्या पूजन