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आषाढ़ पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा का महत्व और पूजा विधि

आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, 10 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन गुरु वेदव्यास जी के जन्मोत्सव के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों का भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन स्नान, दान और गुरु पूजा करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन के महत्व, शुभ मुहूर्त और अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से।
 

आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व

10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन स्नान और दान के साथ-साथ धार्मिक कार्य करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए, हम आषाढ़ पूर्णिमा के महत्व और पूजा विधि के बारे में जानते हैं। 


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के बारे में जानें

हर महीने की अंतिम तिथि को पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन गुरु वेदव्यास जी का जन्म हुआ था।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 09 जुलाई, 2025 को शाम 06:54 बजे से शुरू होगी और 10 जुलाई को शाम 05:47 बजे समाप्त होगी। इसलिए, आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा का उत्सव 10 जुलाई को मनाया जाएगा।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व

इस वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 10 जुलाई को ही होगा।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर अनुष्ठान

गुरु पूजा करें: इस दिन अपने गुरु की पूजा करना न भूलें और उनका आशीर्वाद लें।


स्नान-दान का महत्व: पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप समाप्त होते हैं। स्नान के बाद दान करना भी आवश्यक है।


व्रत का महत्व: इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। व्रत रखने से मन की शांति और सुख-समृद्धि आती है।


साधना और ध्यान: यह दिन ध्यान और साधना के लिए भी शुभ है। ध्यान करने से मन एकाग्र होता है।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर दान का महत्व

पंडितों के अनुसार, इस दिन सुबह स्नान कर पूजा करने के बाद दान करना चाहिए। दान करने से धन लाभ और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

यह दिन अपने गुरुओं को सम्मान देने का है। गुरु वेदव्यास जी का जन्म इसी दिन हुआ था, जिन्होंने वेदों और महाभारत की रचना की। इसलिए इसे वेदव्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।


गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव

गुरु पूर्णिमा गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव है। इस दिन लोग अपने गुरु का सम्मान करते हैं और उनके मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करते हैं।


आषाढ़ गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व

इस दिन देवी-देवताओं के साथ-साथ गुरुओं की पूजा भी की जाती है। यह दिन ज्ञान और श्रद्धा का पर्व है, जिसे महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है।