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इटावा में कथावाचक पर हमले की निंदा, विद्वत परिषद ने उठाई आवाज

इटावा में एक कथावाचक पर हुए हमले ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए काशी विद्वत परिषद ने कहा है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने हिंदू समाज को एकजुट होने और अपनी पहचान को छिपाने के खिलाफ आवाज उठाने की सलाह दी। जानें इस घटना के बारे में और क्या कहा गया है।
 

इटावा की घटना पर प्रतिक्रिया

इटावा घटना: इटावा में एक कथावाचक पर हुए हमले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस घटना का वीडियो देखने वाले लोग गहरे सदमे में हैं। इस घटना के बाद, काशी विद्वत परिषद ने इसकी कड़ी निंदा की है। पद्म भूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से कहा गया कि इटावा में कथावाचक के साथ जो हुआ, वह निंदनीय है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।


प्रोफेसर का बयान

इस घटना के बाद, काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने आक्रोशित स्वर में कहा कि हमारी सनातन परंपरा में कई गैर-ब्राह्मणों को ऋषियों के समान माना गया है। महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास, रविदास और रैदास जैसे व्यक्तियों को आदर और सम्मान मिला है। सभी हिंदुओं को भागवत चर्चा या भगवान पर चर्चा करने का अधिकार है।


हिंदू समाज को संदेश

उन्होंने आगे कहा कि किसी को इस तरह से रोकना संभव नहीं है। यह दुखद है कि कुछ तथाकथित विद्वानों ने हिंदू होते हुए भी व्यास पीठ को बदनाम करने का प्रयास किया है। किसी भी व्यास को किसी को वंचित करने का अधिकार नहीं है। जब हम किसी भक्त के घर व्यास पीठ पर बैठते हैं, तो हमें विश्वास के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। हिंदुओं को इस विषय पर आपस में चर्चा करनी चाहिए और अपनी पहचान को छिपाना नहीं चाहिए।