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ईद-ए-मिलाद उन नबी 2025: महत्व और मनाने का तरीका

ईद-ए-मिलाद उन नबी 2025 का पर्व 5 सितंबर को मनाया जाएगा, जो पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्म और वफ़ात की याद में है। यह दिन खुशी और गम का संगम है, जिसमें मुस्लिम समुदाय विशेष नमाज अदा करता है, कुरान की तिलावत करता है और दुरूद शरीफ पढ़ता है। जानें इस पर्व का महत्व और इसे मनाने के विभिन्न तरीके।
 

ईद-ए-मिलाद उन नबी का महत्व

ईद-ए-मिलाद उन नबी 2025, सिटी रिपोर्टर | नई दिल्ली : इस्लाम में ईद-ए-मिलाद उन नबी का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। इसे 12 वफ़ात या मौलिद के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। यह दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म और उनकी वफ़ात (मृत्यु) की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में यह पर्व 5 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन खुशी और गम का मिश्रण होता है। आइए, जानते हैं इस पर्व का महत्व और इसे कैसे मनाया जाता है।


ईद-ए-मिलाद उन नबी 2025 की तारीख

इस साल ईद-ए-मिलाद उन नबी 5 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी, जो रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख के साथ मेल खाती है। इस दिन को पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्म और वफ़ात दोनों की याद में मनाया जाता है। ‘मिलाद’ शब्द अरबी के ‘मौलिद’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जन्म। यह पर्व पैगंबर के जन्मदिन के उत्सव के साथ-साथ उनकी शिक्षाओं को याद करने का भी अवसर है।


12 वफ़ात का महत्व

12 वफ़ात का दिन इस्लाम में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था और इसी दिन उनका इंतकाल भी हुआ। सुन्नी मुसलमान इस दिन को ईद-ए-मिलाद उन नबी के रूप में 12 रबी-उल-अव्वल को मनाते हैं, जबकि शिया समुदाय इसे 17 रबी-उल-अव्वल को मनाता है। कुछ लोग इसे जन्मदिन के उत्सव के रूप में मनाते हैं, जबकि अन्य इसे उनकी वफ़ात की याद में शांति और इबादत के साथ मनाते हैं। यह दिन दोनों भावनाओं का संगम है।


मुसलमान कैसे मनाते हैं यह पर्व?

ईद-ए-मिलाद उन नबी के दिन मुस्लिम समुदाय पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं और सुन्नतों का पालन करता है। इस दिन लोग मस्जिदों में विशेष नमाज अदा करते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं और दुरूद शरीफ पढ़ते हैं। कुछ लोग इसे जश्न के रूप में मनाते हैं, जिसमें जुलूस निकाले जाते हैं, जबकि अन्य शांति से प्रार्थना और इबादत करते हैं। इस दिन पैगंबर के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया जाता है। इस्लामिक समुदाय में इस दिन को लेकर विभिन्न मत हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य पैगंबर की शिक्षाओं को याद करना और उन पर चलना है।