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उत्तम मन्वादि: धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व और पौराणिक मान्यताएँ

उत्तम मन्वादि की तिथि कार्तिक मास की पूर्णिमा है, जो धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन नदियों में स्नान, हवन और दान करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मनु की सृष्टि और मन्वंतर के चक्र का विवरण भी इस दिन से जुड़ा है। जानें उत्तम मन्वादि के पीछे की गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ।
 

उत्तम मन्वादि का महत्व

उत्तम मन्वादि की शुरुआत कार्तिक मास की पूर्णिमा से होती है। इस दिन नदियों में स्नान, हवन, दान, श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है। हालांकि, उपनयन, विद्यारम्भ, विवाह, निर्माण, गृह प्रवेश और यात्रा जैसे कार्यों के लिए सभी मन्वादि तिथियों का त्याग करना बेहतर माना गया है। इन तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करना, दान देना और हवन करना शुभ कार्य माने जाते हैं।


पौराणिक मान्यताएँ

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रलय के बाद मानव सृष्टि की शुरुआत करने वाले को मनु कहा जाता है। ब्रह्मा द्वारा सृजित मनु ही सभी प्राणियों की उत्पत्ति करते हैं। मनु की मृत्यु के बाद, ब्रह्मा एक नए मनु का निर्माण करते हैं, जो फिर से सृष्टि का निर्माण करते हैं। विष्णु समय-समय पर अवतार लेकर सृष्टि की रक्षा करते हैं। वर्तमान में श्वेत वराह कल्प का सातवां मन्वंतर, जिसे वैवस्वत मन्वंतर कहा जाता है, चल रहा है।


मन्वंतर और मन्वादि तिथियाँ

छह मन्वंतर पहले ही बीत चुके हैं, और वर्तमान वैवस्वत मन्वंतर के बाद भविष्य में सावर्णी, दक्ष सावर्णी, ब्रह्म सावर्णी, धर्म सावर्णी, रुद्र सावर्णी, देव सावर्णी और इंद्र सावर्णी नामक मन्वंतर आएंगे। प्रत्येक मन्वंतर का एक विशेष मनु होता है, और मन्वंतर के नाम से जाना जाता है। एक कल्प में चौदह मन्वंतर होते हैं, और प्रत्येक मन्वादि तिथि एक नए मन्वंतर की शुरुआत को दर्शाती है।


उत्तम मन्वादि का विशेष दिन

उत्तम मन्वादि की तिथि कार्तिक मास की पूर्णिमा है। इस दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। वर्तमान वैवस्वत मन्वंतर में ऋषि अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, गौतम, भरद्वाज, विश्वामित्र और जमदग्नि सप्तर्षि के रूप में जाने जाते हैं। इस मन्वंतर के देवताओं में साध्य, रूद्र, विश्वेदेव, वसु, मरुद्गण, आदित्य और अश्विनौकुमार शामिल हैं।