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उत्तराखंड की रजत जयंती पर पीएम मोदी का संबोधन: 25 वर्षों की उपलब्धियाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के गठन की रजत जयंती समारोह में भाग लिया और राज्य की 25 वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे उत्तराखंड ने विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ है, जिसमें बजट, बिजली उत्पादन, और शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि शामिल है। मोदी ने राज्य की आध्यात्मिक शक्ति को भी सराहा और इसे विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की।
 

उत्तराखंड की रजत जयंती का उत्सव

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के गठन की रजत जयंती समारोह में भाग लिया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि 9 नवंबर का यह दिन एक लंबी मेहनत का परिणाम है। यह दिन हमें गर्व का अनुभव कराता है। उत्तराखंड की महान जनता ने जो सपना देखा था, वह अटल जी की सरकार के दौरान साकार हुआ। पिछले 25 वर्षों की यात्रा के बाद, आज उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर है, उसे देखकर हर उस व्यक्ति का खुश होना स्वाभाविक है, जिसने इस सुंदर राज्य के लिए संघर्ष किया।

उन्होंने आगे कहा, "मैं उत्तराखंड की रजत जयंती पर सभी को बधाई देता हूं। इस अवसर पर उन बलिदानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी। मैं सभी आंदोलनकारियों का भी सम्मान करता हूं। जब उत्तराखंड अपने 25 वर्ष पूरे कर रहा है, तो मेरा विश्वास और भी मजबूत हो गया है कि यह उत्तराखंड के विकास का सुनहरा समय है।"

पीएम ने कहा कि 25 साल पहले उत्तराखंड का बजट 4,000 करोड़ रुपये था, जो अब 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। पिछले 25 वर्षों में बिजली उत्पादन चार गुना बढ़ गया है। सड़कों की लंबाई भी दोगुनी हो चुकी है। पहले यहां हर 6 महीने में लगभग 4,000 यात्री हवाई यात्रा करते थे, जबकि अब एक दिन में 4,000 से अधिक यात्री हवाई यात्रा करते हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 10 गुना से अधिक बढ़ गई है, और पहले एक मेडिकल कॉलेज था, अब 10 हैं।

जब उत्तराखंड का गठन हुआ था, तब चुनौतियाँ कम नहीं थीं। संसाधन सीमित थे, बजट छोटा था, और आय के स्रोत भी कम थे। आज की स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। देवभूमि उत्तराखंड, भारत के आध्यात्मिक जीवन का केंद्र है। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थल हमारी आस्था के प्रतीक हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं, जो न केवल भक्ति का मार्ग खोलते हैं, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भी भरते हैं।

पीएम ने कहा कि उत्तराखंड की असली पहचान उसकी आध्यात्मिक शक्ति है। यदि उत्तराखंड ठान ले, तो वह जल्द ही विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बन सकता है। यहां के मंदिर, आश्रम और योग केंद्रों को हम वैश्विक केंद्रों से जोड़ सकते हैं। देश ने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया है, और इसका मार्ग वोकल फॉर लोकल से तय होगा। उत्तराखंड इस दृष्टिकोण को हमेशा से अपनाता आया है। स्थानीय उत्पादों के प्रति लगाव और उनका उपयोग यहां की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।