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उत्पन्ना एकादशी: पूजा का सही समय और विधि

उत्पन्ना एकादशी, जो मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी है, इस वर्ष 15 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत करने से भगवान श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है। पूजा के लिए राहुकाल का समय सुबह 9:25 से 10:45 बजे तक है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए। सही पूजा समय अभिजीत, विजय और गोधूलि मुहूर्त में है। जानें विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के उपाय और मंत्रों का जप।
 

उत्पन्ना एकादशी पर प्रभु श्री हरि की कृपा


उत्पन्ना एकादशी का महत्व
मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से भगवान श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस वर्ष यह व्रत 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा-पाठ के लिए कुछ समय विशेष रूप से ध्यान में रखना आवश्यक है। राहुकाल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है।


राहुकाल का समय

राहुकाल का समय सुबह 9:25 से 10:45 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा-पाठ या अन्य शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे शुभ परिणाम नहीं मिलते।


पूजा का सही समय


  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से 12:27 बजे तक

  • विजय मुहूर्त: 1:53 से 2:36 बजे तक

  • गोधूलि मुहूर्त: 5:27 से 5:54 बजे तक


विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के उपाय

उत्पन्ना एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु को पीला चंदन और पीले फूल अर्पित करें। इसके साथ ही, भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करना न भूलें। ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना मना है, इसलिए एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी इस दिन शुभ माना जाता है।


मंत्रों का जप


  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

  • ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्

  • मङ्गलम् भगवान विष्णु:, मङ्गलम् गरुणध्वज:।
    मङ्गलम् पुण्डरी काक्ष:, मङ्गलाय तनो हरि:॥

  • शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥