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एंडीज विमान दुर्घटना: साहस और जीवित रहने की अद्भुत कहानी

एंडीज विमान दुर्घटना की कहानी एक अद्भुत साहस और जीवित रहने की मिसाल है। 1972 में उरुग्वे की रग्बी टीम के खिलाड़ियों ने माइनस 30 डिग्री में अपने मृत साथियों का मांस खाकर 72 दिनों तक जीवित रहने की कोशिश की। यह त्रासदी और साहस की कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। जानिए कैसे इन खिलाड़ियों ने कठिनाइयों का सामना किया और मदद की तलाश में बर्फीले पहाड़ों पर यात्रा की।
 

एंडीज विमान दुर्घटना: एक त्रासदी की कहानी

एंडीज विमान दुर्घटना: हाल ही में एयर इंडिया की उड़ान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने सभी को झकझोर दिया है। यह हादसा 1972 में हुए एंडीज विमान दुर्घटना की याद दिलाता है, जब उरुग्वे की रग्बी टीम के खिलाड़ियों ने माइनस 30 डिग्री तापमान में अपने मृत साथियों का मांस खाकर 72 दिनों तक जीवित रहने की कोशिश की। यह कहानी साहस, हिम्मत और मानवता का अनूठा उदाहरण है।


13 अक्टूबर 1972 को उरुग्वे एयर फोर्स की उड़ान 571, जिसमें 45 लोग सवार थे, चिली के सैंटियागो में रग्बी मैच के लिए जा रही थी। इस विमान में उरुग्वे की रग्बी टीम, उनके परिवार और मित्र शामिल थे। खराब मौसम और घने कोहरे के कारण पायलट को एंडीज के बर्फीले पहाड़ों में कुछ भी दिखाई नहीं दिया। 14,000 फीट की ऊंचाई पर विमान एक चोटी से टकरा गया, जिससे विमान के टुकड़े बर्फ में बिखर गए। इस दुर्घटना में 18 लोगों की जान चली गई, जबकि 27 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।


माइनस 30 डिग्री में जीवित रहने की जंग

बचाव दल ने 10 दिनों तक खोजबीन की, लेकिन सफेद विमान को बर्फ में खोजना बेहद कठिन था। 11वें दिन सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया, यह मानकर कि कोई जीवित नहीं बचा। बचे हुए 27 लोगों ने भोजन को छोटे हिस्सों में बांट लिया। पानी के लिए उन्होंने विमान के धातु के टुकड़ों पर बर्फ पिघलाकर पानी बनाया। लेकिन कुछ ही दिनों में भोजन समाप्त हो गया। भूख से तड़पते लोगों ने अपने मृत साथियों का मांस खाने का कठिन निर्णय लिया, जो उनकी जीवित रहने की अंतिम उम्मीद थी।


खिलाड़ियों का अदम्य साहस

60 दिनों बाद केवल 16 लोग जीवित बचे थे। रग्बी खिलाड़ी नंदो पर्राडो और रोबेर्तो कानेसा ने हार नहीं मानी। कमजोर शरीर और संसाधनों के बिना, उन्होंने बर्फीले पहाड़ों पर मदद की तलाश में चलने का निर्णय लिया। सीट कवर और कपड़ों से ड्रेस बनाकर उन्होंने ठंड से बचने की कोशिश की। कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद, वे चिली के एक आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचे। एक नदी के किनारे उन्हें घोड़े पर दो लोग दिखाई दिए। तेज लहरों के कारण उनकी आवाज नहीं पहुंची, लेकिन अगले दिन घुड़सवारों ने पत्थर से बंधा कागज फेंका।


नंदो ने कागज पर लिखा, 'हम एंडीज हादसे के बचे हुए लोग हैं। हमारे 16 साथी मदद का इंतजार कर रहे हैं।' घुड़सवारों ने खाना फेंका और मदद का आश्वासन दिया। 22 दिसंबर 1972 को दो हेलिकॉप्टर पहुंचे और 72 दिनों बाद 16 लोगों को बचाया गया। इस घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस पर 'Alive' नामक एक किताब और 1993 में एक फिल्म बनाई गई, जो साहस और जीवटता का प्रतीक है।