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कांवड़ यात्रा 2025: जानें नियम और सावधानियां

कांवड़ यात्रा 2025 का आयोजन सावन के महीने में होगा, जिसमें भक्तगण भगवान शिव की आराधना के लिए जल लाते हैं। इस यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है, जैसे कि कांवड़ की ऊंचाई, शुद्धता, और पूजा विधि। जानें इस यात्रा के दौरान किन 15 नियमों का पालन करना चाहिए ताकि आपकी तपस्या सफल हो सके।
 

कांवड़ यात्रा का महत्व

सावन का महीना भगवान शिव के लिए विशेष माना जाता है, और इस दौरान भक्तजन उनकी आराधना करते हैं। हर साल, बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ यात्रा करते हैं, जो एक कठिन तपस्या है। भक्तगण गंगा, नर्मदा, शिप्रा या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों से जल लाकर उसे अपने निकटतम शिव मंदिर में अर्पित करते हैं।


कांवड़ यात्रा की तिथियां

कांवड़ यात्रा का आरंभ सावन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है और यह सावन शिवरात्रि तक चलती है। इस वर्ष, यात्रा 11 जुलाई, शुक्रवार से शुरू होगी, जबकि जलाभिषेक 23 जुलाई 2025 को होगा। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से और नियमों का पालन करते हुए यात्रा करते हैं, उन्हें ही इसका फल मिलता है।


कांवड़ यात्रा के नियम

कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है:



  • कांवड़ की ऊंचाई 12 फीट से कम होनी चाहिए।

  • कांवड़ में केवल भगवान शिव से संबंधित वस्तुएं ही लटकानी चाहिए।

  • यात्रा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। मन और शरीर दोनों से शुद्ध रहना चाहिए।

  • सुबह और शाम भगवान शिव की पूजा के साथ कांवड़ की आराधना करें।

  • भक्तों को नंगे पैर चलना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में चप्पल पहनने की अनुमति है।

  • यात्रा के दौरान 'हर हर महादेव' का जाप करना अनिवार्य है।

  • कांवड़ को उठाने से पहले स्नान करना चाहिए।

  • कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, इसे किसी स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटकाना चाहिए।

  • यदि मल या मूत्र त्यागना हो, तो कांवड़ को दूर लटकाएं और स्नान के बाद ही उसे उठाएं।

  • तामसिक भोजन और नशे से दूर रहना चाहिए।

  • कांवड़ या कलश पर पैर नहीं लगने चाहिए।

  • जलाभिषेक सबसे पहले शिवलिंग पर करें।

  • कांवड़ यात्रा समूह में करनी चाहिए।

  • सोशल मीडिया पर दिखावे से बचें।

  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग सीमित करें।