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कामिका एकादशी 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी

कामिका एकादशी 2025, जो 21 जुलाई को मनाई जाएगी, सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष अवसर है। इस दिन का महत्व और पूजा विधि जानें, जिसमें शुभ मुहूर्त और व्रत के लाभ शामिल हैं। सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी का दुर्लभ संयोग भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करता है। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके लाभ।
 

कामिका एकादशी 2025 का महत्व

कामिका एकादशी 2025: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान होने वाले सभी त्योहारों में भगवान भोलेनाथ की पूजा अनिवार्य मानी जाती है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी कहा जाता है, जो 21 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। यह सावन की पहली एकादशी है, जिसमें भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस बार यह एकादशी सावन के दूसरे सोमवार को पड़ रही है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (हरि) और शिव (हर) की एक साथ पूजा से भक्तों को दोनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।


कामिका एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 जुलाई 2025 को दोपहर 12:12 बजे से शुरू होगी और 21 जुलाई को सुबह 9:38 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई 2025, सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन कई शुभ योग जैसे वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं, जो इस दिन के व्रत और पूजा के फल को बढ़ाते हैं। हालांकि, दोपहर 12:44 बजे से रात 12:16 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा, लेकिन इसका पूजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।


कामिका एकादशी की पूजा विधि

कामिका एकादशी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु और शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।


पूजा के लिए गंगाजल, तुलसी पत्र, पीले फूल, फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी), चंदन, अक्षत, धूप, दीप, मिठाई और केसर मिश्रित दूध तैयार रखें। पूजा शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पीले फूल और केसर मिश्रित दूध अर्पित करें। भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, भांग अर्पित करें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में दोनों देवताओं की आरती करें और मिठाई व फल का भोग लगाएं। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें, क्योंकि इस दिन तुलसी और बेलपत्र का दान विशेष फलदायी है। अगले दिन सुबह सात्विक भोजन या फल खाकर व्रत खोलें।


सावन सोमवार और एकादशी का दुर्लभ संयोग

इस बार 21 जुलाई को कामिका एकादशी और सावन का दूसरा सोमवार एक साथ आ रहा है, जो कई वर्षों में एक बार बनने वाला दुर्लभ संयोग है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने से भक्तों को दोनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन भक्ति-भाव से की गई पूजा और व्रत से जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और मनचाही सिद्धि मिल सकती है।


कामिका एकादशी के लाभ

कामिका एकादशी व्रत गंभीर पापों से मुक्ति दिलाता है और पितृ दोष को दूर करने में मदद करता है। भगवान विष्णु और शिव की कृपा से धन-धान्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। यह व्रत सौभाग्य, संतान सुख और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देता है।