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कार्तिक अमावस्या 2025: स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कार्तिक अमावस्या 2025 का महत्व जानें, जो 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, साथ ही आर्थिक स्थिति सुधारने के उपाय। इस अवसर पर धार्मिक कार्यों का पुण्य फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करें।
 

कार्तिक अमावस्या का महत्व


सनातन धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है, जब लोग अपने घरों में दीप जलाकर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।


कार्तिक अमावस्या 2025 की तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का व्रत दिवाली के एक दिन बाद, यानी 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। यह दिन स्नान-दान और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।


पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर को शाम 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत, स्नान और दान का पुण्य कार्य 21 अक्टूबर को किया जाएगा।


स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान करना अत्यंत फलदायी होता है। इस साल सुबह 4:44 बजे से 5:35 बजे तक का समय स्नान-दान के लिए सबसे उत्तम रहेगा। इस अवधि में पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।


कार्तिक अमावस्या के उपाय

यदि आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं, तो कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी की माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। इस उपाय से न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल भी प्राप्त होता है।


कार्तिक अमावस्या पूजा विधि

सुबह स्नान करने के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। फिर भगवान गणेश जी का ध्यान कर पूजा प्रारंभ करें। भगवान विष्णु का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।


इसके बाद प्रभु को पीला चंदन, पीले पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं और वातावरण को पवित्र करें। श्रद्धा से श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें। भगवान विष्णु की आरती करें और भोग लगाएं। अंत में भगवान से क्षमा प्रार्थना करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।