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कालाष्टमी 14 सितंबर को: पूजा विधि और महत्व

14 सितंबर को मनाई जाने वाली कालाष्टमी पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त विशेष व्रत रखते हैं और पूजा विधि का पालन करते हैं। जानें इस पर्व की पूजा का शुभ समय, विधि और महादेव को प्रसन्न करने के उपाय।
 

भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा

इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। 14 सितंबर, रविवार को आश्विन माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आता है। इस अवसर पर भक्त विशेष कामों में सफलता के लिए व्रत रखते हैं।


पूजा का शुभ समय

अष्टमी तिथि 14 सितंबर 2025 को सुबह 5:04 बजे प्रारंभ होगी और 15 सितंबर को रात 3:06 बजे समाप्त होगी। पूजा के लिए मध्य रात्रि 11:53 बजे से 12:40 बजे के बीच का समय सर्वोत्तम माना जाता है।


कालाष्टमी की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • दीपक जलाकर काल भैरव की पूजा करें।
  • आरती करें और मंत्रों का जप करें।
  • काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • प्रभु से सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें।
  • गरीबों में अन्न और धन का दान करें।


महादेव को प्रसन्न करने के उपाय

यदि आप वास्तु दोष का सामना कर रहे हैं, तो कालाष्टमी के दिन घर में डमरू लाएं और पूजा के समय इसे बजाएं। ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष दूर होता है।


भैरव देव मंत्र

  • ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।