कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती: जानें उपाय और मंत्र
शनि साढ़ेसाती का महत्व
Shani Sade Sati: ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। यह माना जाता है कि शनि का प्रभाव जीवन में उतार-चढ़ाव लाता है और किसी भी जातक के जीवन में सम और विषम परिस्थितियों का निर्माण कर सकता है। वर्तमान में कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है, जिससे उनकी जिंदगी में कई तरह की चुनौतियां और तनाव उत्पन्न हो रहे हैं।
शनि की कृपा के लिए उपाय
ज्योतिषियों का मानना है कि देवों के देव महादेव की उपासना करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है। कुंभ राशि के जातक यदि सही उपाय और पूजा करें तो वे इस कठिन दौर से आसानी से उबर सकते हैं।
वर्तमान गोचर और साढ़ेसाती का प्रभाव
शनि वर्तमान में मीन राशि में विराजमान हैं। इस गोचर के अनुसार-
मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हुआ है।
मीन राशि के जातक साढ़ेसाती के दूसरे चरण से प्रभावित हैं।
कुंभ राशि के जातक साढ़ेसाती के अंतिम चरण से गुजर रहे हैं।
इस चरण में जीवन में आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक चुनौतियां अधिक देखने को मिल सकती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, महादेव की पूजा और शनिदेव के मंत्रों का जाप करना इस समय विशेष रूप से लाभकारी है।
कुंभ राशि वालों के लिए साढ़ेसाती की समाप्ति
शनि देव एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं और इसके बाद अगली राशि में गोचर करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 03 जून, 2027 को शनि देव मेष राशि में गोचर करेंगे। इस दिन से कुंभ राशि के जातकों के जीवन में साढ़ेसाती का असर समाप्त हो जाएगा और उनके जीवन में सुख-शांति एवं सफलता का मार्ग खुलेगा।
शनि देव के मंत्र और उपाय
साढ़ेसाती के कठिन समय में निम्न मंत्रों का नियमित जाप करना शुभ माना जाता है-
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः.
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः.
ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्.
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्..
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया.
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर..
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च.
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्..
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः.
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः.
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः.
इन मंत्रों का नियमित जाप करने और महादेव की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन की प्राप्ति होती है.