कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव: तीर्थों की खोज और पुनर्स्थापना
कुरुक्षेत्र: गीता का जन्मस्थान
कुरुक्षेत्र (International Gita Mahotsav)। गीता की जन्मभूमि और महाभारत युद्ध के कारण, यह स्थान विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे तीर्थों की भूमि भी कहा जाता है, जो कुरुक्षेत्र के साथ-साथ कैथल, जींद, करनाल और पानीपत तक फैली हुई है। इस क्षेत्र में कुल 367 तीर्थ हैं, जो समय के साथ धीरे-धीरे लुप्त होते गए हैं। हालांकि, 1968 से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा इन तीर्थों की खोज की जा रही है।
बोर्ड द्वारा तीर्थों की खोज
48 कोस तक फैले तीर्थ, एक-एक को खोज रहा बोर्ड
अब तक 182 तीर्थों को बोर्ड द्वारा सूचीबद्ध किया जा चुका है, और 18 और तीर्थों को शामिल करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि जल्द ही केडीबी की सूची में 200 तीर्थ शामिल होंगे। केडीबी के अधिकारियों ने बताया कि तीर्थों की खोज का कार्य निरंतर जारी रहेगा।
गीता महोत्सव का दस्तावेजीकरण
International Gita Mahotsav: तीर्थों का दस्तावेजीकरण
प्राथमिक साहित्यिक संदर्भ – महाभारत, पुराण आदि शास्त्रीय ग्रंथों में उल्लेख।
द्वितीयक साहित्यिक स्रोत – ऐतिहासिक, धार्मिक या लौकिक ग्रंथों में संदर्भ।
पुरातात्त्विक एवं स्थापत्य अवशेष – घाट, मंदिर, संरचनाएं या उत्खनन से प्राप्त साक्ष्य।
राजस्व अभिलेख – भूमि का देवता-नाम, जलाशय/मंदिर का प्रमाण।
लोककथात्मक परंपरा – तीर्थ से जुड़ी कथाएं व प्रसंग।
स्थानीय परंपरा – अस्थि विसर्जन सरस्वती या सहायक नदियों में, हरिद्वार नहीं।
गीता महोत्सव का आयोजन
तीर्थों पर मनाया जा रहा गीता महोत्सव
केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने बताया कि लुप्त तीर्थों की खोज और पुनर्स्थापना का कार्य किया जा रहा है। खोजे गए तीर्थों का जीर्णोद्वार किया जा रहा है और इन पर गीता महोत्सव जैसे आयोजन भी हो रहे हैं। आम जनता में इन तीर्थों की महत्ता बढ़ रही है। तीर्थ समितियों का गठन किया गया है, जो केडीबी और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं।
तीर्थों की संख्या में वृद्धि
1999 में थे 134, 2021 में खोजे गए 18 तीर्थ
वर्ष 1999 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के पास 134 तीर्थ सूचीबद्ध थे, जिनका उल्लेख बोर्ड द्वारा प्रकाशित पहली पुस्तक में किया गया था। 2021 में 30 और 2023 में 18 नए तीर्थों की खोज की गई। पिछले वर्ष भी 18 और तीर्थों की खोज की गई।