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कैथल में बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान, 17,000 एकड़ फसलें बर्बाद

हरियाणा के गुहला चीका क्षेत्र में बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है, जिससे 17,000 एकड़ फसलें बर्बाद हो गई हैं। 50 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, और प्रभावित गांवों में किसान सरकार से त्वरित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के माध्यम से किसानों ने नुकसान का रजिस्ट्रेशन कराया है। जानें बाढ़ की स्थिति और सरकार की सहायता योजनाओं के बारे में।
 

कैथल में बाढ़ का कहर

कैथल बाढ़ नुकसान, (कैथल) : हरियाणा के गुहला चीका क्षेत्र में बाढ़ के कारण किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। 17,000 एकड़ से अधिक फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। भागल, बाऊपुर और रत्ताखेड़ा लुकमान जैसे गांवों में सबसे अधिक तबाही हुई है। मारकंडा और घग्गर नदियों के उफान और पंजाब से आए पानी ने खेतों को भर दिया। किसान अब सरकार से त्वरित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।


बाढ़ से प्रभावित गांव

सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

भागल में मारकंडा नदी के उफान से 2300 एकड़ फसलें नष्ट हो गईं। रत्ताखेड़ा लुकमान (1045 एकड़), बाऊपुर (1150 एकड़), भूसला (510 एकड़), और डोना (451 एकड़) जैसे गांवों में धान की फसल पूरी तरह से डूब गई है। गुहला के 30 से अधिक गांवों में यही स्थिति है। किसानों का कहना है कि एक एकड़ फसल तैयार करने में 30-35 हजार रुपये और खेत किराए पर लेने में 70-90 हजार रुपये खर्च हुए, लेकिन अब कुछ भी नहीं बचा।


ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल का उपयोग

सरकार की पहल

सरकार ने फसल नुकसान के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला है, जहां अब तक 50 गांवों के 2148 किसानों ने 17,150 एकड़ फसल के नुकसान का रजिस्ट्रेशन कराया है। यह आंकड़ा 30,000 एकड़ तक पहुंच सकता है। पोर्टल 15 सितंबर तक खुला रहेगा। जिला राजस्व अधिकारी चंद्रमोहन ने बताया कि पटवारी गिरदावरी कर रिकॉर्ड तैयार करेंगे, जिसके बाद मुआवजा दिया जाएगा।


तटबंध टूटने से स्थिति और गंभीर

बाढ़ की स्थिति

मंगलवार को सरोला-रत्ताखेड़ा के पास घग्गर नदी का 10 फीट का तटबंध टूट गया। पोकलेन मशीनें खेतों के रास्ते देर रात तक इसे ठीक करने में जुटी रहीं। ग्रामीणों ने भी सहायता की। घग्गर का जलस्तर सोमवार रात 24.7 फीट था, जो मंगलवार सुबह 24.8 फीट तक पहुंच गया और रात तक 24.5 फीट रहा। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है, क्योंकि पानी खतरे के निशान से डेढ़ फीट ऊपर है। तटबंधों पर दबाव बना हुआ है, और लोग दिन-रात पहरा दे रहे हैं।