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क्षमावाणी कार्यक्रम में सत्य पाल जैन ने दी क्षमा की महत्ता पर जोर

चंडीगढ़ में आयोजित 'क्षमावाणी' कार्यक्रम में पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने क्षमा की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दूसरों की गलतियों के लिए माफी मांगना मानवता का सर्वोत्तम गुण है। जैन धर्म ने इसे एक त्यौहार के रूप में मनाकर एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। जानें उन्होंने इस अवसर पर और क्या कहा।
 

क्षमावाणी का महत्व

चण्डीगढ़- चण्डीगढ़ के पूर्व सांसद और भारत सरकार के अपर महासालिसिटर श्री सत्य पाल जैन ने कहा कि दूसरों की गलतियों के लिए क्षमा मांगना और अपने द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए माफी मांगना मानवता का सर्वोत्तम गुण है। उन्होंने यह बात आज श्री दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर 27 बी, चंडीगढ़ में आयोजित 'क्षमावाणी' कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कही।


श्री जैन ने आगे कहा कि यदि समय पर आपसी मतभेद समाप्त कर लिए जाएं, तो इससे सामाजिक संबंधों में मिठास बढ़ती है और समाज में अनावश्यक तनाव कम होता है। उन्होंने बताया कि सभी धर्मों में क्षमा मांगना महत्वपूर्ण माना गया है, लेकिन जैन धर्म ने इसे एक त्यौहार के रूप में मनाकर एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है।


उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में कभी-कभी हम अनजाने में किसी की भावनाओं को आहत कर देते हैं, जिससे प्रारंभ में मनमुटाव उत्पन्न होता है, जो बाद में दुश्मनी का रूप ले सकता है। इसीलिए जैन धर्म ने क्षमावाणी के पर्व के रूप में एक ऐसा अवसर प्रदान किया है, जब व्यक्ति आपसी गलतफहमियों के लिए क्षमा मांग सकता है, ताकि मनमुटाव को बढ़ने से पहले ही समाप्त किया जा सके। इस अवसर पर श्री जैन को जैन समाज द्वारा सम्मानित भी किया गया।