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खरमास 2025: जानें कब शुरू होगा और क्यों होते हैं मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध

खरमास 2025 का समय 16 दिसंबर से 13 जनवरी तक रहेगा, जिसमें मांगलिक कार्यों पर रोक लगाई जाती है। जानें इसके पीछे का ज्योतिषीय कारण और इस अवधि का महत्व। यह लेख आपको खरमास के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा, जिससे आप इस समय के दौरान अपने कार्यों की योजना बना सकें।
 

खरमास 2025 की तिथियाँ

खरमास 2025 की तिथियाँ: सनातन धर्म में शुभ और अशुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य फलदायी होते हैं। खरमास को अशुभ मास माना जाता है, जिसके दौरान मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और सगाई जैसे कार्य वर्जित होते हैं।


खरमास की अवधि

खरमास की अवधि:
16 दिसंबर 2025 से 13 जनवरी 2026 तक खरमास रहेगा। 14 जनवरी 2026 को यह समाप्त होगा।


मांगलिक कार्यों पर रोक का कारण

खरमास में मांगलिक कार्यों पर रोक:
खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लगाई जाती है क्योंकि सूर्य जब बृहस्पति की राशि (धनु या मीन) में होता है, तब गुरु ग्रह की शक्तियाँ कमजोर हो जाती हैं। गुरु ग्रह को शुभता और मांगलिक कार्यों का कारक माना जाता है। जब गुरु की शक्ति कम होती है, तो मांगलिक कार्यों से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती, इसलिए इस दौरान इन्हें वर्जित माना जाता है।


ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष के अनुसार, गुरु को भाग्य और शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि खरमास में सूर्य देव का तेज कम हो जाता है।


खरमास का वैदिक पंचांग में महत्व

वैदिक पंचांग के अनुसार, खरमास वर्ष में दो बार आता है। एक बार तब जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु में होते हैं और दूसरी बार जब वे मीन राशि में गोचर करते हैं। इस प्रकार, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, खरमास नवंबर-दिसंबर और मार्च-अप्रैल में होता है।