गणेश चतुर्थी: भारतीय संस्कृति का प्रतीक और पर्यावरण की सुरक्षा
गणेश चतुर्थी का महत्व
पिछले कुछ वर्षों में, चीन समेत कई देशों से कृत्रिम मूर्तियों का भारतीय बाजार में प्रवेश हुआ है, जिससे व्यापार में भारी वृद्धि हुई है। हालांकि, इससे हमारे देश के शिल्पकारों को नुकसान हो रहा है। हमें केवल मिट्टी या गाय के गोबर से बनी मूर्तियों की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यही शास्त्रों के अनुसार सही है। अन्य अपूज्य मूर्तियों की पूजा न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह हमारी आस्था के साथ भी खिलवाड़ करती है।
भगवान श्री कृष्ण का संदेश
गीता के एक श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि वे ही जानने योग्य परम अक्षर हैं और सम्पूर्ण विश्व के आश्रय हैं।
गणेश जी की उत्पत्ति की कथा
शिवपुराण में माता पार्वती द्वारा अपने मैल से उत्पन्न बालक की कथा है, जिसे भगवान शिव ने त्रिशूल से मार दिया। बाद में, भगवान विष्णु ने एक हाथी का सिर लाकर बालक को पुनर्जीवित किया। इस प्रकार गणेश जी का जन्म हुआ और उन्हें विघ्न विनाशक का आशीर्वाद मिला।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह उत्सव महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। पंडाल सजाए जाते हैं और गणेश की विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
गणेश उत्सव का ऐतिहासिक महत्व
गणेश उत्सव की शुरुआत 20वीं सदी के आरंभ में पुणे से हुई थी। इसे पेशवाओं द्वारा मनाया जाता था और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोकमान्य तिलक ने इसे एकजुटता का प्रतीक बनाया।
गणेश जी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर से युद्ध में जीतने के लिए गणेश जी का स्मरण किया।
गणेश उत्सव का सामाजिक संदेश
गणेश उत्सव का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह स्वच्छता, समानता और सहभागिता का संदेश देता है।
कृत्रिम मूर्तियों का प्रभाव
हालांकि, कृत्रिम मूर्तियों के बढ़ते व्यापार ने देशी शिल्पकारों को प्रभावित किया है। हमें पारंपरिक मूर्तियों की पूजा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
गणेश उत्सव का वैश्विक प्रभाव
गणेश उत्सव का दर्शन विश्वव्यापी है, और इसकी आस्था अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी देखी जा रही है।