गरुड़ पुराण की कथा: मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा
गरुड़ पुराण की कथा: आत्मा की यात्रा
गरुड़ पुराण की कथा: मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? क्या वह सीधे स्वर्ग या नर्क जाती है, या फिर कोई अन्य प्रक्रिया होती है? इन प्रश्नों के उत्तर गरुड़ पुराण में मिलते हैं, जो हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसमें आत्मा की मृत्यु के बाद की यात्रा और यमलोक की वास्तविकता का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा पुनः पृथ्वी पर लौटती है और फिर एक लंबी, कठिन यात्रा शुरू होती है।
मृत्यु की प्रक्रिया कैसे शुरू होती है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब कोई व्यक्ति मृत्यु के निकट पहुंचता है, तो उसका गला सूखने लगता है, त्वचा की नमी समाप्त हो जाती है और शरीर हल्का महसूस होता है। आंखें धीरे-धीरे बंद हो जाती हैं और सुनने की क्षमता भी कम होती जाती है। व्यक्ति कुछ कहना चाहता है, लेकिन उसकी आवाज नहीं निकलती। इसी समय यमराज उसके पास आते हैं, जिन्हें केवल वही व्यक्ति देख सकता है। यमराज उसकी आत्मा को खींचकर यमलोक की ओर ले जाते हैं।
आत्मा का पृथ्वी पर लौटना
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के तुरंत बाद यमराज आत्मा को ढाई मुहूर्त यानी लगभग 24 घंटे के लिए पुनः पृथ्वी पर लाते हैं। इसका उद्देश्य व्यक्ति के जीवन के कर्मों की समीक्षा करना होता है। इस दौरान आत्मा अपने परिवार के आस-पास भटकती रहती है। इस समय को हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसी कारण पिंडदान और अन्य धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।
तेरहवीं तक आत्मा का निवास
मृत्यु के बाद 13 दिन तक आत्मा को एक नया सूक्ष्म शरीर दिया जाता है, जिससे वह अपनी यात्रा जारी रख सके। इन तेरह दिनों में परिजन जो भी धार्मिक क्रियाएं करते हैं, वे आत्मा के इस नए शरीर को बनाने में सहायक होती हैं। 13वें दिन आत्मा इस सूक्ष्म शरीर को धारण कर यमलोक की ओर यात्रा शुरू करती है। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं होती।
लाखों किलोमीटर की यात्रा
गरुड़ पुराण के अनुसार, यमलोक की दूरी 99 हजार योजन यानी लगभग 11 लाख 99 हजार 988 किलोमीटर है। यह यात्रा आत्मा को पैदल करनी होती है। यदि व्यक्ति ने जीवन में बुरे कर्म किए हैं, तो यह मार्ग और भी कठिन और पीड़ादायक हो जाता है। कई बाधाएं और यातनाएं उसे रास्ते में सहनी पड़ती हैं।
यमलोक के 16 भयानक नगर
यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा को 16 भयानक नगरों से गुजरना होता है, जहां उसके कर्मों के अनुसार उसे दंड या फल प्राप्त होता है। जिन्होंने दूसरों को नुकसान पहुंचाया है, उन्हें कठोर सजा दी जाती है। वहीं, जिन्होंने अच्छे कर्म किए हैं, उन्हें शांति और मुक्ति का मार्ग मिलता है।