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गुरु पूर्णिमा पर गुरु को नमन करने के 5 महत्वपूर्ण तरीके

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को नमन करने के कई महत्वपूर्ण तरीके हैं। केवल चरण स्पर्श करना ही नहीं, बल्कि दीप जलाना, पुष्प अर्पित करना और गुरु मंत्र का जाप करना भी आवश्यक है। इस दिन गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। जानें कैसे आप अपने गुरु को सच्चे अर्थों में सम्मान दे सकते हैं।
 

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को कैसे करें नमन

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को कैसे नमन करें: चरण स्पर्श से अधिक महत्वपूर्ण ये 5 बातें: गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरु को श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का यह सवाल हर शिष्य के मन में आता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा का एक जीवंत उत्सव है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की।


क्या केवल चरण स्पर्श करना ही पर्याप्त है? नहीं! इस दिन गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने के कई गहरे और भावनात्मक तरीके हैं, जो न केवल परंपरा से जुड़े हैं, बल्कि आत्मिक रूप से भी आपको जोड़ते हैं।


गुरु को नमन करने की परंपरा


गुरु पूर्णिमा पर गुरु को नमन करने का सबसे पहला और पारंपरिक तरीका है—उनके चरण स्पर्श करना। यह केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है। जब आप अपने गुरु के चरणों में झुकते हैं, तो आप अपने अहंकार को त्यागते हैं और ज्ञान के प्रति समर्पण व्यक्त करते हैं।


यदि आपके गुरु आपके पास नहीं हैं, तो उनकी तस्वीर या प्रतीक के सामने भी यह क्रिया की जा सकती है। यह भाव ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।


गुरु की पूजा कैसे करें


गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा करना एक आध्यात्मिक अनुभव होता है। पूजा की शुरुआत एक दीप जलाकर करें। फिर उनके चरणों में पुष्प अर्पित करें और श्रद्धा से गुरु मंत्र का जाप करें:


ॐ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥


यदि आप अपने गुरु से प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिल सकते, तो उनकी तस्वीर के सामने यह पूजा करें। साथ ही, उन्हें एक भावनात्मक शुभकामना संदेश भेजकर अपनी कृतज्ञता ज़रूर प्रकट करें।


दूर हों तो भी जुड़ाव बना रहे


आज के डिजिटल युग में, यदि आपके गुरु दूर हैं, तो भी आप उनसे जुड़ सकते हैं। एक भावपूर्ण संदेश, वीडियो कॉल या सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए भी आप अपनी श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि आप शारीरिक रूप से पास हों, भावनात्मक जुड़ाव ही सबसे बड़ा सम्मान है।


गुरु की राह पर चलना ही सच्चा सम्मान


गुरु को सच्चा सम्मान देना केवल एक दिन की बात नहीं है। असली नमन तब होता है जब आप उनकी दी हुई सीख को अपने जीवन में उतारते हैं। उनके बताए मार्ग पर चलना, उनके आदर्शों को अपनाना और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देना—यही गुरु के प्रति आपकी सच्ची भक्ति है।


गुरु पूर्णिमा पर केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण भी करें कि आपने उनकी शिक्षाओं को कितना अपनाया है।


गुरु पूर्णिमा पर गुरु को कैसे नमन करें इसका उत्तर केवल चरण स्पर्श तक सीमित नहीं है। दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर, गुरु मंत्र का जाप कर और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारकर आप सच्चे अर्थों में गुरु को सम्मान दे सकते हैं। अगर गुरु दूर हैं, तो भी भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखें और डिजिटल माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट करें।