गुरु हरगोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर भव्य गुरमत समागम का आयोजन
गुरु हरगोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व
- सुखमनी साहिब का जाप किया गया
(जींद) गुरु हरगोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व स्थानीय ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में श्रद्धा और धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब में धार्मिक दीवान सजाया गया, जिसमें रागी जसबीर सिंह रमदसिया के जत्थे ने गुरुबाणी का गायन किया।
गुरु हरगोबिंद सिंह का इतिहास
गुरुद्वारा साहिब के प्रमुख ग्रंथी और प्रसिद्ध कथा वाचक गुरविंदर सिंह रत्तक ने गुरु हरगोबिंद सिंह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने गुरु गद्दी संभालने के बाद दो तलवारें धारण की थीं, जिन्हें मीरी-पीरी कहा जाता है। मीरी तलवार भौतिक विजय का प्रतीक है, जबकि पीरी आध्यात्मिक ज्ञान की रक्षा का।
ढाढी वारों का महत्व
गुरु हरगोबिंद सिंह के राज में ढाढी वारों का प्रचलन शुरू हुआ, जो युद्ध से पहले सैनिकों में उत्साह भरने का कार्य करती थीं। आज भी ये जत्थे सिख इतिहास की कुर्बानियों को सुनाते हैं। बीबी कवलजीत कौर के नेतृत्व में बीबियों के जत्थे ने गुरु हरगोबिंद सिंह की जीवनी से संबंधित गुरुबाणी का व्याख्यान किया।
गुरु हरगोबिंद जी की शिक्षाएं
गुरु हरगोबिंद जी ने धार्मिक और ईमानदार जीवन जीने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने समाज में सक्रिय योगदान देने और भेदभाव की निंदा की। उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को करुणा और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती हैं।
गुरु हरगोबिंद जी का साहस
गुरु हरगोबिंद जी को सम्राट जहांगीर द्वारा ग्वालियर के किले में कैद किया गया था, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने कैद में रहते हुए अपने साथी कैदियों को शिक्षित किया। अमृतसर की लड़ाई में उन्होंने सिखों को मुगलों पर निर्णायक जीत दिलाई।
समारोह में उपस्थित लोग
इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक गुरविंदर सिंह चौगामा, जत्थेदार गुरजिंदर सिंह, इंदरजीत सिंह, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।