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गोपाष्टमी पर पूजा और नियम: जानें क्या करें और क्या न करें

गोपाष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है, जैसे तामसिक भोजन से परहेज और गायों का सम्मान करना। जानें इस पावन दिन का धार्मिक महत्व और पूजा विधि, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
 

भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा का महत्व


गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
गोपाष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन में समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।


गोपाष्टमी पर ध्यान रखने योग्य बातें

इस दिन प्रातः जल्दी उठना चाहिए। तामसिक भोजन से बचें और गायों तथा बछड़ों का अपमान न करें। गायों का तिलक करें और उन्हें चारा दें। भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करें और गाय को रोटी, गुड़, फल और मिठाई खिलाएं।


दान-पुण्य का महत्व

इस दिन श्रीकृष्ण और गौ माता से आशीर्वाद लेना चाहिए। दान-पुण्य करना न भूलें और किसी से विवाद से बचें। इस पावन दिन पर तामसिक भोजन का सेवन न करें।


शांति और समृद्धि की प्राप्ति

गोपाष्टमी का पर्व विशेष रूप से ब्रज, गोकुल, मथुरा, वृन्दावन, द्वारका और पुरी में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, जिससे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। लोग गायों और बछड़ों को सजाते हैं और उनकी सेवा करते हैं।


श्रीकृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥