चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिरों में पूजा व्यवस्था में बदलाव
चंद्र ग्रहण का समय और पूजा व्यवस्था
भोपाल। आज रात को साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा, जो पितृपक्ष की शुरुआत के साथ एक विशेष संयोग बनाएगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होगा और रात 1:26 बजे समाप्त होगा। रात 11:42 बजे चंद्रमा पूर्ण ग्रहण की अवस्था में दिखाई देगा। ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ होगा, जिसके चलते धार्मिक कार्य सुबह ही संपन्न किए जाएंगे।
ओंकारेश्वर में मंदिरों की पूजा व्यवस्था
खंडवा के ओंकारेश्वर में चंद्रग्रहण के कारण मंदिर की पूजा व्यवस्था में बदलाव किया गया है। सुबह से भगवान श्री ओंकारेश्वर महादेव के दर्शन हो रहे हैं, लेकिन गर्भगृह में जल, फूल, बेलपत्र और अन्य पूजा सामग्री ले जाना मना है। ग्रहण शुरू होने से पहले रात 9:30 बजे शयन आरती होगी। रात 9:58 बजे चंद्रग्रहण शुरू होते ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे। ग्रहण समाप्ति के बाद प्रातःकाल मंदिर खुलने पर परिसर का विधिवत शुद्धिकरण और पूजा-अर्चना होगी, फिर दर्शन शुरू होंगे। श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की है।
रायपुर और अन्य स्थानों पर व्यवस्था
भोपाल में भी मंदिरों की पूजा व्यवस्था में बदलाव किया गया है। शयन आरती का समय रात 9:30 बजे निर्धारित किया गया है, और ग्रहण शुरू होते ही रात 9:58 बजे मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे। रायपुर में भी मंदिरों में समान व्यवस्थाएं लागू हैं, जहां ग्रहण समाप्ति के बाद प्रातःकाल मंदिरों का शुद्धिकरण होगा। श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट और अन्य धार्मिक संगठनों ने श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की है। ग्रहण के दौरान गर्भगृह में पूजा सामग्री ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। यह खगोलीय घटना दोनों शहरों में खुली आंखों से सुरक्षित रूप से देखी जा सकती है।
अन्य मंदिरों में व्यवस्था
आगर मालवा के नलखेड़ा स्थित प्रसिद्ध माँ बगलामुखी मंदिर में चंद्रग्रहण के कारण मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं। पुजारी दिनेश गुरु ने विधिवत पूजा कर पट बंद किए। सभी हवन और अनुष्ठान स्थगित कर दिए गए हैं। अब दर्शन-पूजन चंद्रग्रहण समाप्ति के बाद कल सुबह मंगला आरती के साथ फिर से शुरू होंगे।
कोरबा जिले के प्रमुख मंदिरों में चंद्र ग्रहण के कारण सूतक काल के दौरान गर्भगृह के पट बंद रहेंगे। इसमें सर्वमांगला मंदिर, सप्तदेव मंदिर, श्याम मंदिर, कॉपीलेश्वर मंदिर और पंचमुखी हनुमान मंदिर शामिल हैं। यह निर्णय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लिया गया है और दर्शन अब ग्रहण समाप्ति के बाद ही किए जा सकेंगे।
विशेष मंदिरों में बदलाव
रायपुर में आज चंद्र ग्रहण के कारण सूतक काल की मान्यता के अनुसार कई प्रमुख मंदिरों के पट बंद रहेंगे। इनमें पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर, समलेश्वरी मंदिर, आकाशवाणी चौक का महाकाली मंदिर, बूढ़ातालाब के हनुमान व सिद्धिविनायक मंदिर और कुशालपुर का दंतेश्वरी मंदिर शामिल हैं। दर्शन अब ग्रहण समाप्ति के बाद ही होंगे।
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में चंद्र ग्रहण के चलते सभी मंदिरों के पट आज दोपहर 12:30 बजे बंद कर दिए जाएंगे। ये पट ग्रहण समाप्ति के बाद विधिवत शुद्धिकरण एवं पूजा-अर्चना के उपरांत ही पुनः खोले जाएंगे। मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की है और पूजा नियमों का पालन करने को कहा है।
खंडवा के दादाजी धुनी वाले मंदिर की विशेष व्यवस्था
खंडवा के प्रसिद्ध दादाजी धुनी वाले मंदिर में इस बार भी चंद्रग्रहण के दौरान पट बंद नहीं होंगे और पूजा-पाठ सामान्य रूप से जारी रहेगा। वहीं, जिले के अन्य सभी मंदिरों में दोपहर 12:56 बजे से ग्रहण सूतक काल के कारण पट बंद कर दिए जाएंगे। धुनी वाले मंदिर की परंपरा अनुसार हर बार की तरह पूजा विधि जारी रहेगी।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बदलाव
उज्जैन के मंदिरों, विशेष रूप से महाकालेश्वर मंदिर में पूजा व्यवस्था में बदलाव किया गया है। महाकाल मंदिर में शयन आरती, जो सामान्यतः रात 10:30 बजे होती है, आज रात 9:30 बजे होगी। मंदिर के पट, जो आमतौर पर रात 11 बजे बंद होते हैं, आज रात 9:56 बजे बंद हो जाएंगे। भस्म आरती, भोग आरती और संध्या आरती अपने निर्धारित समय पर होंगी। ग्रहण समाप्त होने के बाद रात में मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। मंदिर को धोया जाएगा, और भगवान का स्नान व अभिषेक कर भस्म आरती की जाएगी। यह ग्रहण और पितृपक्ष का संयोग भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
अंबिकापुर के मां महामाया मंदिर में व्यवस्था
आज के चंद्र ग्रहण को लेकर अंबिकापुर के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर के पट दोपहर 12 बजे बंद कर दिए जाएंगे। ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लगने के कारण यह निर्णय लिया गया है। श्रद्धालुओं की सुबह से भारी भीड़ देखी गई। मंदिर के पुजारी ने बताया कि कल सुबह विधिवत पूजा की जाएगी।