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जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का विशेष श्रृंगार कैसे करें

जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल का सोलह श्रृंगार करना विशेष महत्व रखता है। जानें कैसे आप कान्हा जी का श्रृंगार कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए क्या विशेष भोग अर्पित करना चाहिए। इस लेख में हम आपको श्रृंगार की विधि, मंत्र और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
 

जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का सोलह श्रृंगार


जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 16 अगस्त को है। इस दिन भगवान का सोलह श्रृंगार, पूजा और व्रत का विशेष महत्व है, जिससे भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।


रात में जागरण और मध्य रात्रि में कान्हाजी की पूजा की जाती है। इस अवसर पर लड्डू गोपाल का श्रृंगार करना और उनकी सेवा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप कान्हा जी का श्रृंगार कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।


लड्डू गोपाल का श्रृंगार कैसे करें

जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान के बाद मंदिर की सफाई करें और लड्डू गोपाल को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र पहनाकर चंदन का लेप लगाएं। इसके बाद मुकुट, मुरली, मोर पंख, हार, करधनी, बांसुरी और फूलमाला अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और माखन-मिश्री, पंजीरी का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी के पत्ते भी शामिल करें।


कान्हाजी को नजर से बचाने के लिए यशोदा मईया उन्हें काजल लगाती थीं, इसलिए श्रृंगार के समय लड्डू गोपाल को काजल लगाना न भूलें। जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को झूला झुलाने का भी विशेष महत्व है, इसलिए पूजा स्थल पर झूला अवश्य रखें।


माखन की मटकी और गाय का महत्व

लड्डू गोपाल के श्रृंगार के साथ-साथ उनके पास एक छोटी सी गाय भी रखें। भगवान कृष्ण को माखन का भोग बहुत प्रिय है, इसलिए जन्माष्टमी के दिन एक छोटी मटकी में माखन और मिश्री भरकर कान्हा जी के पास अवश्य रखें।


भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप


  • ॐ कृष्णाय नम:
    ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
    ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात

  • ओम क्लीम कृष्णाय नम:
    गोकुल नाथाय नम:
    ॐ श्री कृष्ण: शरणं मम:

  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

  • ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।