जन्माष्टमी पर व्रत टूटने पर क्या करें: प्रायश्चित के उपाय
जन्माष्टमी का महत्व और व्रत
जन्माष्टमी का पर्व, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव, पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मध्यरात्रि में उनके जन्म का उत्सव मनाते हैं। जन्माष्टमी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन कभी-कभी अनजाने में या किसी अप्रत्याशित कारण से यह व्रत टूट सकता है।व्रत टूटने पर क्या करें
यदि आपका जन्माष्टमी का व्रत गलती से टूट गया है, तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कुछ विशेष प्रायश्चित करके आप भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले, अपने आराध्य से सच्चे मन से क्षमा मांगें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान लड्डू गोपाल के समक्ष बैठकर जल लेकर अपनी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
प्रायश्चित के उपाय
व्रत खंडित होने पर आप भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मंत्रों का जाप कर सकते हैं। तुलसी की माला से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ श्री विष्णवे नमः" का जाप करना लाभकारी होता है। इसके अलावा, पीले वस्त्र और अन्न का दान करना भी शुभ माना जाता है।
यदि संभव हो, तो घर पर एक छोटा हवन करें और भगवान श्रीकृष्ण के लिए विशेष आहुतियाँ डालें। हवन करने से सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं। आप भगवान की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें भोग भी अर्पित कर सकते हैं।
किसी योग्य पंडित को दक्षिणा सहित पीला वस्त्र, फल, मिठाई आदि का दान करना भी प्रायश्चित का एक उत्तम उपाय है।
महत्वपूर्ण बातें
ध्यान रखें कि जानबूझकर व्रत तोड़ना अनुचित है। यदि व्रत अनजाने में टूटा है, तो उपरोक्त उपाय करें और भविष्य में सावधानी बरतें। व्रत के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए।
जन्माष्टमी का व्रत सामान्यतः मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद खोला जाता है। यदि आप निर्जला व्रत रख रहे हैं, तो पानी की एक बूंद भी ग्रहण न करें।