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जीवित्पुत्रिका व्रत 2025: तिथियाँ और पूजा विधि

जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है, का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है। 2025 में जितिया व्रत 14 सितंबर को होगा, जबकि इसकी शुरुआत 13 सितंबर से होगी। इस लेख में जानें व्रत की तिथियाँ, पूजा विधि और इसके पीछे की पौराणिक कथा।
 

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है, का विशेष महत्व है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए इस निर्जला व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके बाद ओठगन के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और अंत में पारण किया जाता है। इस अवसर पर भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि 2025 में जितिया व्रत कब है और इसका शुभ समय क्या है।


नहाय-खाय की तिथि

जितिया व्रत की शुरुआत 13 सितंबर 2025, शनिवार को होगी। इस दिन सप्तमी तिथि पर नहाय-खाय किया जाएगा, जो व्रत की पहली रस्म है।


जितिया व्रत की तिथि

2025 में जितिया व्रत 14 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 8:41 बजे तक सप्तमी तिथि रहेगी, जिसके बाद अष्टमी तिथि का आरंभ होगा। सप्तमी और अष्टमी का संयोग होने के कारण यह दिन व्रत के लिए चुना गया है।


पारण का समय

जितिया व्रत का पारण 15 सितंबर 2025, सोमवार को होगा। इस दिन सुबह 6:15 बजे अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद नवमी तिथि पर पारण किया जाएगा। इस समय के बाद माताएँ व्रत खोल सकेंगी।


पूजा का विधि

जितिया व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन एक गंधर्व राजकुमार थे, जिन्होंने एक नागिन के बेटे को बचाने के लिए खुद को गरुड़ को सौंप दिया था। उनकी इस निस्वार्थ भक्ति के कारण उन्हें भगवान का दर्जा मिला। तब से माताएँ अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं।


यह व्रत माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि जितिया व्रत से बच्चों के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने वाली माताएँ कभी संतान से वियोग का दुख नहीं सहतीं।


व्रत रखने की विधि

जितिया व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। भगवान जीमूतवाहन और वासुदेव की पूजा करें, दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। पूरा दिन निर्जला व्रत रखें। अगले दिन सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत खोलें। पारण के समय चावल, मरुवा की रोटी, तोरई, रागी और नोनी का साग खाया जाता है।