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तुलसी मां की पूजा: सनातन धर्म में महत्व और विधि

तुलसी मां की पूजा का महत्व सनातन धर्म में अत्यधिक है। भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी को विशेष पूजा विधियों से सम्मानित किया जाता है। जानें कैसे तुलसी की पूजा से भक्तों को पापों से मुक्ति और सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस लेख में तुलसी मां की पूजा की विधि और धार्मिक मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
 

तुलसी मां की पूजा का महत्व

सनातन धर्म में तुलसी मां की पूजा हर घर में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। भगवान श्री विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय मानी जाती है। जब भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनाया, तब वह लक्ष्मी के साथ आनंदपूर्वक रहने लगे। तुलसी को लक्ष्मी के समान गौरव और सौभाग्य प्रदान किया गया। हालांकि, सरस्वती ने तुलसी के इस गौरव को सहन नहीं किया और उनके अपमान के कारण तुलसी अंतर्धान हो गईं। भगवान ने सरस्वती को समझाया और उनकी अनुमति से तुलसीवन में जाकर तुलसी की स्तुति की।


तुलसी की पूजा विधि

भगवान ने तुलसी की पूजा कैसे की
तुलसी के लिए भगवान ने घी का दीपक जलाया, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजा की। इसके साथ ही, तुलसी के बीज मंत्रों का जाप किया। भगवान ने कहा कि जो भी भक्त मां तुलसी के बीज मंत्रों का ध्यानपूर्वक जाप करेंगे, वे सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करेंगे। इस प्रकार तुलसी प्रसन्न होकर वृक्ष से बाहर आईं और भगवान श्री हरि के चरणों में समर्पित हो गईं। भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि तुम सर्वपूज्या हो जाओगी और मैं तुम्हें अपने मस्तक पर धारण करूंगा। सभी देवता तुम्हें अपने मस्तक पर धारण करेंगे। इतना कहकर भगवान श्री हरि तुलसी को अपने साथ लेकर अपने स्थान पर लौट गए।


धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां तुलसी की श्रद्धा से पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भक्त भगवान विष्णु के लोक में पहुंच जाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करने से दस हजार गोदान का फल प्राप्त होता है। तुलसी की माला पहनने वाले भक्तों का भी कल्याण होता है।