×

दामोदर द्वादशी 2025: भगवान विष्णु की पूजा का विशेष पर्व

दामोदर द्वादशी 2025 एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप को समर्पित है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धा से व्रत करने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा विधि में श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ और सात्विक भोजन का सेवन शामिल है। जानें इस पर्व का महत्व और दान की विधि।
 

दामोदर द्वादशी का महत्व

दामोदर द्वादशी 2025: यह पर्व भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप को समर्पित है। यह महत्वपूर्ण व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 16 अगस्त को आएगा। हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव की पूजा के समान महत्वपूर्ण माना गया है। एकादशी और द्वादशी तिथियों का विष्णु भक्ति में विशेष स्थान है। दामोदर नाम भगवान विष्णु के अनेक नामों में से एक है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से व्रत करने वाले को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अग्नष्टोम यज्ञ का फल मिलता है और भक्त सतलोक में जाते हैं। हिंदू ग्रंथों के अनुसार, दामोदर द्वादशी का पालन करने से भक्तों को अपार सुख और समृद्धि मिलती है।


पूजा विधि

श्री विष्णुसहस्रनाम:
इस दिन भक्त श्री विष्णु की मूर्ति या चित्र को फूलों से सजाते हैं। अगरबत्ती और दीये जलाए जाते हैं, और तुलसी के पत्तों से पूजा की जाती है। भक्त श्री विष्णुसहस्रनाम और श्री महाविष्णु के श्लोकों का पाठ करते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ भी किया जाता है।
महाविष्णु का प्रसिद्ध श्लोक

महाविष्णु का प्रसिद्ध श्लोक:
“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”


सात्विक भोजन और दान

सात्विक भोजन:
इस दिन भक्त पूर्ण या आंशिक उपवास रखते हैं। जो भक्त उपवास नहीं कर सकते, वे सात्विक भोजन का सेवन कर सकते हैं, जिसमें मुख्यतः प्रसाद और फल शामिल होते हैं।

दान:
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के दान किए जाते हैं, जैसे अन्न, वस्त्र, जल, दीपक, और पीले रंग की वस्तुएं।