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दिल्ली में कांवड़ यात्रा के दौरान मांस और शराब की दुकानों पर प्रतिबंध

दिल्ली में 11 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के मद्देनजर, सरकार ने मांस और शराब की दुकानों को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। यह कदम श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं की रक्षा और यात्रा के दौरान उनके मनोबल को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इस निर्णय पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं, जिसमें कुछ धर्मगुरुओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है और प्रशासन की तैयारी क्या है।
 

दिल्ली सरकार का नया निर्णय

दिल्ली में 11 जुलाई से आरंभ होने वाली कांवड़ यात्रा के संदर्भ में, दिल्ली सरकार ने उत्तर प्रदेश के मॉडल को अपनाने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, यात्रा के मार्गों पर मांस और शराब की दुकानों को अस्थायी रूप से बंद करने की तैयारी की जा रही है। यह कदम धार्मिक आस्था की सुरक्षा और श्रद्धालुओं के मनोबल को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में निर्देश दिए थे कि कांवड़ यात्रा के मार्गों पर मांस और शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। इसके साथ ही, प्रत्येक दुकान पर संचालक का नाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने का भी आदेश दिया गया है। इससे श्रद्धालुओं की भावनाओं की रक्षा होगी और पारदर्शिता बनी रहेगी।


दिल्ली में इस विषय पर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर यात्रा मार्गों पर मीट शॉप्स और बूचड़खानों को बंद करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, भाजपा विधायक तरविंदर सिंह मारवाह ने गृह मंत्री कपिल मिश्रा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इसी तरह की मांग उठाई है।


हालांकि, मौलाना साजिद रशीदी जैसे मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस निर्णय को 'तुग़लकी फरमान' करार दिया है और कहा है कि संविधान में ऐसा कोई निर्देश नहीं है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रभावित दुकानदारों को प्रतिदिन ₹5,000 का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए।


दिल्ली प्रशासन ने श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की अपील की है और दुकानदारों से सहयोग की अपेक्षा की है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह नीति प्रति-पथ होगी और धार्मिक सौहार्द बनाए रखना प्राथमिकता है।