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दिल्ली से पटना साहिब के लिए पवित्र जोड़ा साहिब की यात्रा दीवाली के बाद शुरू होगी

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की है कि दीवाली के बाद पवित्र जोड़ा साहिब को दिल्ली से पटना साहिब ले जाने के लिए यात्रा शुरू की जाएगी। यह यात्रा 1500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और नौ दिनों में पूरी होगी। यात्रा के दौरान संगत को जोड़ा साहिब के दर्शन का अवसर मिलेगा। यात्रा का मार्ग दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरेगा। इस यात्रा की योजना दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पटना साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा बनाई गई है।
 

यात्रा का विवरण

नई दिल्ली: गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र ‘जोड़ा साहिब’ को सम्मानपूर्वक दिल्ली से पटना साहिब ले जाने के लिए दीवाली के बाद यात्रा आयोजित की जाएगी। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस यात्रा की जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि यह यात्रा 1500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और इसे नौ दिनों में पूरा किया जाएगा। यात्रा के दौरान संगत विभिन्न स्थानों पर पवित्र जोड़ा साहिब के दर्शन कर सकेंगे। यह यात्रा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरेगी।


यात्रा का मार्ग

यात्रा का मार्ग दिल्ली से फरीदाबाद, आगरा, बरेली, महंगापुर, लखीमपुर, कानपुर, प्रयागराज होते हुए पटना तक जाएगा। यात्रा की तारीख जल्द ही निर्धारित की जाएगी। इस दौरान संगत को जोड़ा साहिब के दर्शन का अवसर मिलेगा। हरदीप पुरी ने कहा कि यदि किसी परिवार के पास पवित्र जोड़ा साहिब का दूसरा हिस्सा है, तो वे उनसे संपर्क कर सकते हैं। यात्रा की योजना दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पटना साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा बनाई गई है।


जोड़ा साहिब का संरक्षण

हरदीप पुरी ने बताया कि कमेटी ने विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है कि जोड़ा साहिब को पटना साहिब में रखा जाएगा। इस संबंध में कई लोगों से बातचीत की गई। इस अवसर पर दोनों प्रबंधन कमेटियों के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, जगजीत सिंह सोही और एसआरसीसी कॉलेज की प्रिंसिपल सिमरत कौर भी उपस्थित थीं। सिमरत कौर ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्यों ने इस विषय पर गहन चर्चा की। पवित्र जोड़ा साहिब को रखने के लिए दो स्थानों पर विचार किया गया था, एक हरमिंदर जी पटना साहिब और दूसरा श्री आनंदपुर साहिब। पटना साहिब का चयन गुरु साहिब के जन्मस्थान के कारण किया गया है।


जोड़ा साहिब की ऐतिहासिकता

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 1947 में बंटवारे के समय जोड़ा साहिब को यहां लाया गया था। तब से यह पवित्र धरोहर उनके परिवार के पास रही है। परिवार के बढ़ने के कारण इसकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। गुरु साहिब की इस धरोहर की कार्बन टेस्टिंग भी करवाई गई है, और जांच रिपोर्ट की समय सीमा भी मेल खाती है। यह रिपोर्ट गहन जांच के बाद तैयार की गई है।