देवउठनी एकादशी: महत्व और मंत्रों का जप
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक मानी जाती है। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही पिछले चार महीनों से रुके सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश पुनः आरंभ होते हैं। इस वर्ष, देवउठनी एकादशी 1 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन कौन से मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए और उनके लाभ क्या हैं।
देवउठनी एकादशी के मंत्र
भगवान विष्णु को जगाने का मंत्र:
'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।'
यह मंत्र भगवान विष्णु को उनकी चार महीने की नींद से जगाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके जाप से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और सृष्टि का संचालन फिर से शुरू होता है। इस मंत्र का जप करने से आपके जीवन में रुके हुए सभी शुभ कार्य बिना किसी बाधा के आरंभ होते हैं।
भगवान विष्णु का स्तुति मंत्र:
'शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्। विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥'
यह मंत्र भगवान विष्णु के स्वरूप का वर्णन करता है। इसके जाप से सभी भय और संकट दूर होते हैं, और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
भगवान विष्णु का हरि नाम जाप मंत्र:
'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।'
'हरि' का अर्थ है 'पापों को हरने वाला'। इस मंत्र का जप करने से सभी संचित पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।