×

देवउठनी एकादशी: शुभ कार्यों की शुरुआत का दिन

देवउठनी एकादशी, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है, इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि और तुलसी विवाह के महत्व के बारे में।
 

देवउठनी एकादशी का महत्व

नई दिल्ली: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि शनिवार को सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगी, जिसके बाद एकादशी का आरंभ होगा। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कुम्भ राशि में स्थित रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 19 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट तक होगा।


शनिवार को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। स्कंद और पद्म पुराण में इस दिन का विशेष उल्लेख किया गया है, जिसमें बताया गया है कि इस तिथि पर श्री हरि चार माह की योग निद्रा से जागृत होते हैं और सृष्टि का संचालन आरंभ करते हैं। इसके साथ ही, इस दिन से घर-घर में शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।


देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी पूजन और विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है, और व्रत रखने से भाग्य में वृद्धि होती है।


इस दिन पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें और उसमें गंगाजल का छिड़काव करें। इस दिन पीले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गाय के गोबर में गेरु मिलाकर भगवान विष्णु के चरण चिह्न बनाएं और नए मौसमी फल अर्पित करें। दान की सामग्री, जैसे अनाज और वस्त्र, अलग से तैयार करें।


दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और शंख-घंटी बजाते हुए 'उठो देवा, बैठो देवा' मंत्र का उच्चारण करें, जिससे सभी देवता जागृत हों। पंचामृत का भोग लगाएं। यदि आप व्रत रखते हैं, तो तिथि के अगले दिन पारण करते समय ब्राह्मण को दान दें।